पीलीभीत लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को पहले चरण में वोट डाे जाएंगे। यह लोकसभा सीट पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से मेनका गांधी और वरुण गांधी के गढ़ के रूप में जाना जाता है। बीजेपी ने इस बार पीलीभीत लोकसभा सीट से वरुण गांधी के बजाय योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। मेनका गांधी सुलतानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की प्रत्याशी हैं। अब क्योंकि मेनका औऱ वरुण दोनों ही पीलीभीत लोकसभा सीट से दूर हैं, ऐसे में इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने यहां पूरी ताकत झोंकी हुई है। इसी क्रम में पीएम नरेंद्र मोदी आने वाले मंगलवार को यहां एक चुनावी रैली करने वाले हैं।

जितिन पीलीभीत में बाहरी! क्या कहते हैं स्थानीय लोग

जितिन प्रसाद ने साल 2004 में शाहजहांपुर और 2009 में धौरहरा लोकसभा से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। वह 2021 में बीजेपी में शामिल हो गए। वह इस लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले उत्तर प्रदेश के एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं। हालांकि उन्हें पीलीभीत में अपनी राजनीतिक जमीन बनाने के लिये जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।

पीलीभीत में एक कालेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुशील कुमार गंगवार ने कहा, “जितिन प्रसाद का यहां बहुत कम प्रभाव है। अभी तक उन्हें यहां चुनावों के लिए बीजेपी द्वारा मैदान में उतारे गए बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।”

स्थानीय ग्राम प्रधान बाबूराम लोधी ने कहा, “वरुण गांधी का पीलीभीत से बहुत पुराना और गहरा नाता है। यह नाता उस भावनात्मक पत्र में झलकता है जो उन्होंने सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद लिखा था।”

वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता को लिखा था पत्र

सांसद के रूप में कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए वरुण गांधी ने टिकट कटने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को एक भावनात्मक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके साथ उनका रिश्ता उनकी आखिरी सांस तक बरकरार रहेगा। मौजूदा सांसद ने कहा कि पीलीभीत के साथ उनका रिश्ता प्यार और विश्वास का है, जो किसी भी राजनीतिक नफे-नुकसान से कहीं ऊपर है।

मेनका गांधी ने पहली बार वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर पीलीभीत लोकसभा सीट जीती थी मगर 1991 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन साल 1996 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की। वह साल 1998 और 1999 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फिर इसी सीट से सांसद चुनी गईं। ​​उन्होंने 2004 और 2014 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में सीट जीती।

उनके बेटे वरुण गांधी 2009 और 2019 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से सांसद बने। मेनका गांधी इस बार सुल्तानपुर से एक बार फिर चुनाव लड़ रही है जहां उन्होंने 2019 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। हालांकि जितिन प्रसाद का दावा है कि उन्हें पार्टी संगठन का पूरा समर्थन प्राप्त है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि वरुण के करीबी लोग भाजपा के फैसले से खुश नहीं हैं।

सभाओं में खुद को मोदी का दूत बताते हैं जितिन

जनसभाओं में जितिन प्रसाद खुद को मोदी का दूत बताते हैं और प्रधानमंत्री के नाम पर वोट मांगते हैं। प्रसाद के समर्थन में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से बीजपेी विधायक संजय गंगवार, बाबूराम पासवान, विवेक वर्मा और स्वामी प्रकाशानंद उनके नामांकन पत्र में प्रस्तावक थे।

जिले के पूरनपुर क्षेत्र के सिख किसान बलवंत सिंह ने कहा, “वरुण गांधी टिकट कटने के बाद एक बार भी पीलीभीत नहीं आए हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए और पूरी संभावना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी शामिल नहीं होंगे। इससे निश्चित रूप से एक संदेश जाता है।”

पीलीभीत में एक दशक में पीएम की पहली रैली

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पूरनपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली “मतदाताओं के मन में संदेह दूर करने” और “जितिन प्रसाद के पक्ष में वोट डालने” के लिए आयोजित की गई है। करीब एक दशक में यह किसी प्रधानमंत्री की इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली रैली होगी। 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीलीभीत में लोकसभा चुनाव रैली की थी।

पीलीभीत में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता

अनुमान के अनुसार, नेपाल की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम और लोधी के बाद कुर्मी तीसरा सबसे बड़ा मतदाता समूह है। मौर्य, पासी और जाटव वोट बैंक हैं, इसके बाद बंगाली, ब्राह्मण और सिख मतदाता भी खासी संख्या में हैं। बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर भगवत सरन गंगवार को उतारा है।

कुर्मी वोटों पर गंगवार की पकड़

पूर्व मंत्री गंगवार के बारे में कहा जाता है कि यहां प्रभावशाली कुर्मी मतदाताओं पर उनकी पकड़ है। जनसभाओं में वह पार्टी लाइन पर चलते हुए लोकतंत्र को बचाने और पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के अधिकारों की रक्षा की बात करते हैं। उन्होंने कहा, “पीडीए परिवार को सत्ताधारी पार्टी द्वारा परेशान किया जा रहा है और यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक सरकार नहीं बदल जाती। हमें संविधान को उन लोगों से भी बचाना है जो इसे बदलने पर तुले हैं।”

मायावती ने उतारा मुस्लिम उम्मीदवार

बसपा ने इस सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अनीस अहमद को चुनाव मैदान में उतारा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि वह बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटों को आकर्षित करके निर्वाचन क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। अहमद ने अब तक निर्वाचन क्षेत्र के मुस्लिम इलाकों में अपना अभियान केंद्रित किया है।

पीलीभीत में पांच विधानसभा सीट, चार में बीजेपी के विधायक

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र – बहेड़ी, पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर और बीसलपुर आते हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चार विधानसभा क्षेत्रों में जोरदार जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी बहेड़ी में जीत हासिल करने में सफल रही थी। सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारी डॉ. सोमेंद्र अग्रवाल ने कहा, “2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे निश्चित रूप से बीजेपी के लिए एक बड़े उत्साहजनक रहे, लेकिन जिस तरह से पार्टी के नेता जितिन प्रसाद के लिए प्रचार कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि पार्टी किसी भी चीज को संयोग पर नहीं छोड़ना चाहती है।” (इनपुट – एजेंसी)