बात साल 2002 के मार्च के पहले हफ्ते की है, जब गोधरा कांड के बाद पूरा गुजरात जल रहा था। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च को एक इंटरव्यू दिया था, जिसके बारे में अगले दिन अखबारों में छपा कि मोदी ने न्यूटन के तीसरे नियम के तहत बताया कि हिंसा क्रिया के जवाब में प्रतिक्रिया के चेन के रूप में चल रही है। गांधी नगर से लेकर नई दिल्ली तक इस पर कोहराम मच गया। इसके अगले दिन 2 मार्च को मोदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर सफाई दी थी। इसे कवर करने उस समय एनडीटीवी के पत्रकार राजदीप सरदेसाई गांधीनगर पहुंचे थे।
राजदीप ने अपनी किताब- ‘2014: दि इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया’ में लिखा है कि उस शाम जब उन्होंने इंटरव्यू के लिए मोदी से बात की तो वो राजी हो गए। ताकि राज्य में और देश में अमन-चैन का पैगाम पहुंचाया जा सके। इंटरव्यू के बाद जब टीम न्यूजरूम पहुंची तो पाया कि टेप खराब हो चुका था। इसके बाद दोबारा मोदी के दफ्तर में पत्रकार सरदेसाई ने फोन किया और परेशानी बताई तो मोदी दोबारा इंटरव्यू देने को तैयार हो गए। सरदेसाई अपनी टीम के साथ गांधीनगर स्थित सीएम आवास रात करीब 10 बजे पहुंचे। तब नरेंद्र मोदी ने उन्हें पहले डिनर कराया फिर इंटरव्यू दिया। सरदेसाई ने लिखा है कि जब हमने दंगा नियंत्रित करने में फेल रहने से जुड़ा सवाल पूछा तो मोदी ने उसे मीडिया की साजिश बताया था। उन्होंने क्रिया-प्रतिक्रिया के बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया कि हमने ऐसा नहीं कहा, बल्कि ये कहा, “क्रिया और प्रतिक्रिया की चेन चल रही है। हम चाहते हैं कि न क्रिया हो, न प्रतिक्रिया हो।”
राजदीप ने अपनी किताब में लिखा है कि नरेंद्र मोदी से उनकी पहली मुलाकात आडवाणी के राम रथयात्रा के दौरान हुई थी। उस वक्त राजदीप टाइम्स ऑफ इंडिया में मुंबई ब्यूरो में थे। नरेंद्र मोदी रथयात्रा के पहले चरण (सोमनाथ से मुंबई तक) के प्रभारी थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी रथ यात्रा को कवर कर रहे सभी पत्रकारों को शाम में अगले दिन के कार्यक्रम का पूरा डिटेल प्रिंटेड शीट के साथ देते थे इनके अलावा मोदी पत्रकारों को फैक्स करने की सुविधा भी बीजेपी के खर्चे पर करवाते थे ताकि नेशनल मीडिया में उसका कवरेज अच्छे ढंग से हो सके। मोदी तो कभी-कभी स्टोरी लाइन भी पत्रकारों को सुझाया करते थे। बतौर राजदीप मोदी माइक्रो लेवेल पर मैनेजमेंट करने में भी माहिर थे।
राजदीप ने लिखा है कि 1990 के दौर में जब मोदी अपनी गुमनामी भरे दिन गुजार रहे थे, तब नई दिल्ली स्थित बीजेपी दफ्तर में उनसे मुलाकात होती थी। उस वक्त वो अक्सर अकेले होते थे और अखबारों में खोए रहते थे जबकि उसी दफ्तर में उनके समकक्ष गोविंदाचार्य प्रशंसकों से घिरे होते थे। गुजरात का सीएम बनना मोदी की जिंदगी का बड़ा टर्निंग और ट्रांजिशन प्वाइंट है।