राष्ट्रपति रामनाथ कोविंंद ने शुक्रवार (8 मार्च) को हसमुख अधिया को सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात का कुलपति (वाइस चांसलर यानी वीसी) नियुक्त कर दिया। उनके नाम की सिफारिश प्रकाश जावड़ेकर की अगुवाई वाले मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से दो दिन पहले (6 मार्च) ही की गई थी। अधिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। सात दिन पहले ही (एक मार्च को) उन्हें बैंक ऑफ बड़ौदा का अध्यक्ष भी बनाया गया था। उनकी नई नियुक्ति की घोषणा ऐसे समय की गई है, जब कुछ ही दिन बाद (संभवत: अगले हफ्ते चुनाव की घोषणा होते ही) आदर्श आचार संहिता लागू होने वाली है। यह लागू होने पर किसी तरह की नई सरकारी नियुक्ति नहीं हो सकेगी। राष्ट्रपति ने विजिटर की हैसियत से अधिया को पांच साल के लिए वीसी नियुक्त करने का आदेश जारी किया है।
कौन हैं अधिया?: हसमुख अधिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। वह 1981 बैच के गुजरात काडर के आईएएस हैं। मोदी सरकार में वह राजस्व सचिव रहे, फिर उन्हें वित्त मंत्रालय का सबसे बड़ा अफसर (वित्त सचिव) भी बनाया। जीएसटी और नोटबंदी लागू कराने के पीछे उनका बड़ा हाथ माना जाता है।
मोदी सरकार में मिले ये अहम पदः हसमुख का जन्म राजकोट (गुजरात) के वानकणेर में हुआ। गुजरात में उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया। वह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में वित्त सचिव और प्रमुख सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
योग ने बनवाया साथ: अधिया पर नरेंद्र मोदी का ध्यान एक योग शिविर में गया था। बतौर सीएम उन्होंने मंत्रियों, अधिकारियों के लिए चिंतन शिविर, मंथन शिविर आदि की शुरुआत की थी। ऐसे ही एक शिविर में उन्होंने अधिया को बहुत अच्छे तरीके से योगाभ्यास करते देखा। मोदी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें अपना ‘योगा मेंटर’ बना लिया। अधिया ने बेंगलुरु स्थित स्वामी विवेकानंद योग विश्वविद्यालय से पीएचडी किया हुआ है।
अधिया की मदद से PM कर पाए योग का जमकर प्रचारः नरेंद्र मोदी ने अधिया की मदद से योग का काफी प्रचार-प्रसार किया और छवि सुधारने के लिए भी इस्तेमाल किया। उन्होंने चिंंतन शिविरों में योग एक तरह से अनिवार्य कर दिया। बाद में जब वह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पहल की और संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कराने में सफलता पाई।
गुजरात से दिल्ली, फिर गुजरात: नरेंद्र मोदी पीएम बनते ही अधिया को भी दिल्ली ले आए थे। यहां उन्हें सबसे पहले नवंबर 2014 में वित्तीय सेवा विभाग में सचिव बनाया गया। अगस्त 2015 में वित्त मंत्रालय राजस्व सचिव का काम संभाला। इसके कुछ ही समय बाद वह वित्त सचिव बनाए गए। अब उन्हें एक बार फिर वीसी बना कर गुुुुजरात भेेेजा गया है।