मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। 8 जिलों वाले इस राज्य की 40 सीटों पर 7 नवबंर को चुनाव होने वाला है। चुनाव का परिणाम 3 दिसंबर को आएगा। फिलहाल मिजोरम में एमएनएफ (मिजो नेशनल फ्रंट) की सरकार है। यहां सीएम की कुर्सी पर जोरामथांगा का कब्जा है। यह पार्टी एक बार फिर मिजोरम में सरकार बनाने के लिए जोर लगा रही है। वहीं जोराम पीपल्स मूवमेंट 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी थी।

बहुमत के लिए कितनी सीटें जरूरी

असल में इन सीटों पर नामांकन करने की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर थी। वहीं नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर थी। सत्ताधारी एमएनएफ और विपक्षी पार्टी जोराम पीपल्स मूवमेंट ने अपने-अपने कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी कर दी है। जानकारी के अनुसार, एमएनएफ 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं सीएम जोरामथांगा के बारे में जानकारी मिली है कि वे आइजवाल ईस्ट-1 सीट से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि एमएनएफ ने 15 सीटों नए चेहरों को मौका दिया है।

मिजोरम विधानसभा की सभी 40 सीटों पर बहुमत के लिए 21 सीटों पर जीत की जरूरत है। बता दें कि मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर 2023 को समाप्त होने वाला है। अब किसकी सरकार बनेगी यह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा।

महिला नेताओं का बुरा हाल

हालांकि इस बीच चर्चा का विषय है कि क्या मिजोरम इस बार विधानसभा चुनाव में अपना शर्मनाक रिकॉर्ड तोड़ पाएगा। क्या इस बार भी महिला विधायकों की संख्या शून्य होगी। दरअसल, इस राज्य ने 2018 के विधानसभा चुनाव में एक भी महिला को नहीं चुना। इसके बाद 2014 में वनलालावम्पुई चावंगथु ने ह्रांगतुर्ज़ो सीट से उपचुनाव जीता और मंत्री बनीं। मिजोरम में प्रति 1,000 पुरुषों पर 975 महिलाएं हैं। इसके बावजूद लोकसभा में शून्य सांसद भेजने और सबसे कम महिला विधायक होने का रिकॉर्ड इस राज्य के नाम है। दरअसल, मिजोरम में इस रिकॉर्ड का कारण पितृसत्तात्मक समाज है। यहां महिलाओं को राजनीतिक सत्ता संभालने के लिए लायक नहीं माना जाता है। मिज़ोरम में लगभग 36 सालों में मंत्रिमंडल में केवल दो महिलाएं थीं। देखना है कि इस बार कोई महिला चुवान जीतती है या नहीं।