मेघालय में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे चुनावी वादों में प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग, विधानसभा इलाके में कई क्लीनिक की स्थापना, खासियों और गैर-खासी समुदायों के बीच संबंधों में सुधार शामिल हैं। राजधानी शिलांग में कम से कम पांच उम्मीदवारों ने अपने मतदाताओं की जरूरतों के हिसाब से निर्वाचन क्षेत्रों में विशेष घोषणापत्र जारी किए हैं।
स्थानीय जरूरतों और बोली के हिसाब से चुनावी वादे
हालांकि, ये हायपरलोकल चुनावी वादे किसी भी प्रमुख पार्टी के आधिकारिक घोषणापत्र में शामिल नहीं हैं। वे व्यक्तिगत आधार पर कई उम्मीदवारों द्वारा जारी किए गए निर्वाचन क्षेत्र-विशिष्ट ‘सूक्ष्म घोषणापत्र’ हैं। शिलांग में कई विधानसभा क्षेत्रों के कम से कम पांच उम्मीदवार ने “अपने निर्वाचन क्षेत्रों की जरूरतों के हिसाब से” अपनी-अपनी बोलियों में हाइपरलोकल मुद्दों के आधार पर इस तरह के घोषणापत्र पेश किए हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर
मेघालय के उत्तरी शिलांग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एल्गिवा ग्वेनेथ रेनजाह ने मंगलवार को ‘नीति दस्तावेज’ जारी किया है। रेनजाह के माइक्रो मैनिफेस्टो में तमाम बातों के अलावा प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर स्थापित करने के अलावा सब्सिडी वाली दवाएं बेचने के लिए एक दुकान का वादा किया गया है। पहली बार उम्मीदवार बनी 32 वर्षीय रेनजाह ने कहा, “पार्टी का घोषणापत्र पूरे राज्य के लिए है, लेकिन हर निर्वाचन क्षेत्र की अपनी समस्याएं और मुद्दे हैं।”
मेघालय में अब नए विचारों वाले युवा लड़ रहे चुनाव- रेनजाह
उन्होंने बताया कि युवा और महिलाएं उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, ” उत्तर शिलांग में बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए युवाओं के लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर खोलना इसका मुकाबला करने का एक तरीका है।” रेनजाह ने कहा कि कुछ उम्मीदवार विधानसभा सीट केंद्रित स्पेशल मैनिफेस्टो जारी कर रहे हैं। यह मेघालय की बदलती चुनावी राजनीति को दर्शाता है कि अब नए विचारों वाले युवा चुनाव लड़ रहे हैं।
पूर्वी शिलांग विधानसभा सीट पर हर तीन महीने में रिपोर्ट कार्ड का वादा
नजदीकी पूर्वी शिलांग विधानसभा सीट पर खासी लेखक अवनेर परियात भी अपना माइक्रो मैनिफेस्टो लेकर आए हैं। इनके वादों में “निर्वाचन क्षेत्र क्लीनिक” का प्रस्ताव शामिल है। उनका कहना है कि मैनिफेस्टो में स्थानीय जनसभाएं शामिल हैं। वह विधायक के रूप में चुने जाने पर हर तीन महीने में स्थानीय लोगों को अपने काम का एक रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। परियात ने कहा, “पश्चिम में, यह कोई नया विचार नहीं है और हमारा मानना है कि इससे मतदाताओं और चुने हुए लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध बनाने में मदद मिलेगी। वहीं, दूसरा कारण यह है कि कभी-कभी लोग इन आम घोषणापत्रों के बड़े-बड़े वादों से थक जाते हैं।”
नए बने राजनीतिक दलों की बड़ी जिम्मेदारी का हवाला
एनपीपी, बीजेपी, टीएमसी और कांग्रेस सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनमें असम के साथ सीमा मुद्दे को हल करने और राज्य में अवैध कोयला खनन की जांच करने का वादा शामिल है। हालांकि ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन ये निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर व्यक्तिगत मतदाताओं से संबंधित नहीं हो सकते हैं। परियात नए बने वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी के टिकट पर पूर्वी शिलांग से चुनावी शुरुआत कर रहे हैं। अपने माइक्रो मौनिफेस्टो में उन्होंने यह भी वादा किया है कि वे ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे जो विभिन्न समुदायों को एक साथ लाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विभिन्न जातीय समूहों द्वारा बसा हुआ निर्वाचन क्षेत्र “(किसी भी) उत्पीड़न और धमकी से मुक्त हो सके।”
NE में Rahul Gandhi ‘मिसिंग इन एक्शन’, क्या होगा BJP को इससे फायदा?
नए राजनीतिक दल KAM के उम्मीदवारों ने उठाया नशे का मुद्दा
एक और नए राजनीतिक दल KAM की ओर से मैदान में उतारे गए तीन उम्मीदवारों ने अपने-अपने विधानसभा सीटों के लिए एक “कार्य योजना” भी रखी है। उदाहरण के लिए, उत्तरी शिलांग से चुनाव लड़ रहे किरसोइबोर पिरतुह ने नशे की रोकथाम, उपचार में स्वयंसेवी परियोजनाओं के समन्वय और समर्थन के लिए “नशे की लत उपचार और पुनर्वास केंद्र” के साथ-साथ “उत्तरी शिलांग दवा शिक्षा और रोकथाम नेटवर्क” के लिए कानूनी एजेंसी का वादा किया हा। कुछ उम्मीदवारों ने विधानसभा के लिए चुने जाने पर पहले सौ दिनों के लिए अपने काम का रोडमैप भी जनता के सामने रखा है।
साल भर पहले से घर-घर सर्वेक्षण के जरिए बनाया रोडमैप
KAM की ओर से पूर्वी शिलांग से चुनाव लड़ रही एंजेला रंगड ने कहा कि कार्य योजना उनके प्रचार अभियान के दौरान घर-घर सर्वेक्षण पर आधारित थी। सर्वेक्षणों में मतदाताओं से ऐसे सवालों के जवाब मांगे गए जैसे कि वे विधानसभा इलाके में और व्यक्तिगत स्तर पर किन मुद्दों का सामना कर रहे हैं, किन समस्याओं का वे समाधान चाहते हैं और किस विधायक को वे पसंद करेंगे। जून 2022 में ही चुनाव प्रचार शुरू करने वाले रंगड ने कहा, “हमारे लिए यह एक जैविक प्रक्रिया जैसी बात थी। इसके बारे में लंबे समय से सोचा गया था।”