मणिपुर में भी भाजपा सरकार बनाने की तैयारी में हैं। चुनाव नतीजों में हालांकि उसे केवल 21 सीटें ही मिली थी लेकिन दूसरी पार्टियों और अन्‍यों के साथ मिलकर उसने सरकार बनाने की दावेदारी पेश की है। मणिपुर विधानसभा में 60 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 31 विधायकों की जरुरत है। भाजपा को कांग्रेस विधायकों का भी साथ मिल रहा है। कांग्रेस के एक विधायक श्‍याम कुमार ने रविवार (12 मार्च) की देर शाम को मणिपुर राजभवन में पत्रकारों के सामने कहा कि वे भाजपा में शामिल होना चाहते हैं। भाजपा ने अपने विधायकों के साथ राज्‍यपाल नजमा हेपतुल्‍ला से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

भाजपा ने अपने 21 विधायकों के साथ ही नेशनल पीपल्‍स पार्टी के चार और लोकजनशक्ति पार्टी के एक विधायक का समर्थन पत्र भी राज्‍यपाल को दिखाया। उनकी ओर से कहना है कि नागा पीपल्‍स फ्रंट के चार विधायकों का भी उन्‍हें समर्थन है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक पोंगब्राम रोबिंद्रो ने भी राज भवन पहुंचकर भाजपा को समर्थन देने का एलान कर दिया। इससे भाजपा की संख्‍या 31 हो गई। वहीं कांग्रेस की ओर से मुख्‍यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और कहा कि उन्‍होंने राज्‍यपाल नजमा हेपतुल्‍ला से मुलाकात की। उन्‍होंने कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए बुलाने को कहा है। कांग्रेस के 28 विधायक जीते हैं लेकिन श्‍याम कुमार के भाजपा के साथ जाने से यह आंकड़ा 27 रह गया है।

भाजपा के महासचिव राम माधव इंफाल में ही हैं और चुनावों के दौरान प्रचार में ही वे ही डटे हुए थे। उन्‍होंने एनपीपी के विधायकों और प्रदेशाध्‍यक्ष कोनराड संगमा और एलजेपी के विधायक के श्‍याम के साथ प्रेस कांफ्रेंस अपनी उन्‍होंने कहा कि सोमवार तक भाजपा अपने सीएम उम्‍मीदवार का ऐलान कर देगी। उन्‍होंने कहा, ”पिछले 24 घंटों में भाजपा और गैर कांग्रेसी पार्टियों के बीच काफी चर्चा हुई है। भाजपा और एनपीपी, एलजेपी व एनपीएफ के बीच सह‍मति बन गई है।”

एनपीपी के संगमा ने कहा कि मणिपुर की जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में मणिपुर में बदलाव देखने को मिलेगा। वहीं एलजेपी के के श्‍याम ने कहा कि उनका लक्ष्‍य कांग्रेस शासन को समाप्‍त करना है। मणिपुर भाजपा के प्रभारी प्रहलाद पटेल ने कहा कि कांग्रेस विधायक पर तब तक दल-बदल कानून लागू नहीं होगा जब तक कि वे विधानसभा में वोट नहीं करते हैं। वोट देने के बाद भी अगर उन्‍हें चुनौती नहीं दी जाती है तो वे अयोग्‍य नहीं होगे।