सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला मणिपुर विधानसभा चुनाव में सीएम और कांग्रेसी उम्मीदवार ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ उतरेंगी। राज्य में अगले महीने चुनाव होने हैं। उनकी पार्टी पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस अलायंस (पीआरजेए) के संयोजक एरेंड्रो लीचनबाम ने कहा कि शर्मिला थोबाल सीट से चुनाव लड़ेंगी। ऑर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (अफस्पा) के विरोध के लिए जानी जाने वाली शर्मिला राजनीति में अभी आई हैं, जबकि राज्य में इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार तीन बार से सत्ता में है। मणिपुर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 3 फरवरी को 60 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में सीएम ओकराम इबोबी का नाम थोबाल सीट से शामिल था।
पिछले साल अगस्त में, 44 साल की शर्मिला ने 16 साल लंबी चली भूख-हड़ताल समाप्त की थी। पूरी दुनिया में वह ऐसा अभियान चलाने वाली इकलौती शख्सियत हैं। उन्होंने ऐलान किया था कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं कि ताकि वह खतरनाक ‘अफस्पा’ को खत्म करने के लिए दबाव बना सकें। पिछले साल अक्टूबर में अपनी पार्टी पीआरजीए को लॉन्च करते हुए शर्मिला ने कहा था कि वह दो सीटों- थोबाल और खुराई से लड़ेंगी। वह खुराई से ताल्लुक रखती हैं जबकि थोबाल मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र है। लीचनबाम ने कहा कि पार्टी ने पहले से ही थोबाल में शर्मिला के लिए प्रचार शुरू कर दिया है। हालांकि उनके खुराई सीट से लड़ने पर अभी कुछ नहीं कहा गया है।
हाल ही में पीआरजीए को ‘सीटी’ चुनाव चिन्ह मिला है। लीचनबाम ने कहा कि वह 4 और 8 मार्च को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कुल 10 उम्मीदवार उतारेंगे। दूसरी तरफ, नागालैंड की सत्ताधारी पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट ने मणिपुर विधानसभा चुनावों के लिए 15 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी।
शर्मिला ने जिस दिन अपना अनशन समाप्त किया था, उसी दिन उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दल गठित करने की इच्छा जताई थी। शर्मिला ने पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी और विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति तय करने के बारे में सलाह लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की भी इच्छा जताई थी। उन्होंने पहले कहा था कि चुनाव लड़ने का उनका एकमात्र मकसद मणिपुर से अफस्पा हटाना है।
