आम आदमी पार्टी को बने 11 साल हो चुके हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मुहिम से शुरू हुई सियासत दिल्ली-पंजाब में अपनी पूरी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। गुजरात और गोवा में भी इतना वोट हासिल कर लिया है कि आने वाले सालों में कुछ खेल करने की उम्मीद जगी है। इसी वजह से कुछ समय पहले चुनाव आयोग ने भी आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया। लेकिन ये दर्जा अभी सिर्फ कुछ राज्यों के दम पर अरविंद केजरीवाल की पार्टी को मिला है। असल परीक्षा तो बड़े राज्यों की है जहां पर अच्छा प्रदर्शन कर पूरे देश को और तमाम बड़ी पार्टियों को एक सियासी संदेश दिया जा सकता है।
केजरीवाल की रणनीति क्या है?
आम आदमी पार्टी इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने जा रही है। राजस्थान में तो पिछली बार भी पार्टी ने किस्मत आजमाई थी, लेकिन सिर्फ 0.4 फीसदी वोट ही अपने नाम कर पाई। लेकिन इस बार AAP की तैयारी अलग है, उसकी रणनीति में भी उसकी झलक देखने को मिल रही है। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने गुजरात मॉडल को बेचा था, कुछ उसी अंदाज में अरविंद केजरीवाल दिल्ली मॉडल के सहारे राष्ट्रीय राजनीति में अपनी उपस्थिति मौजूद करवाना चाहते हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सिर्फ प्रचंड बहुमत के साथ सरकार नहीं बनाई है, बल्कि एक ऐसी सियासत की भी शुरुआत की है जिसका अपना एक अलग वोटबैंक है। आम आदमी पार्टी पिछले कई सालों से तीन चीजों पर सारा फोकस कर रही है- शिक्षा, सेहत और मुफ्त वाली योजनाएं। इन तीनों का कॉम्बो ही दिल्ली मॉडल कहा जा रहा है जिसके दम पर AAP ने पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है।
जाति-धर्म से भी बड़ा वोटबैंक!
अब ये जिस दिल्ली मॉडल का प्रचार किया जा रहा है, ये जाति धर्म से ऊपर उठकर एक ऐसे वर्ग को टारगेट कर रहा है जिसकी जरूरतें ज्यादा हैं, जिसे सही मायनों में रोटी-कपड़ा-मकान चाहिए। इस समय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जो चुनाव होने जा रहे हैं, वहां भी आम आदमी पार्टी इसी वर्ग को टारगेट करना चाहती है। वो ये बात समझती है कि तीनों ही राज्यों में मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस का रहा है और तीसरी पार्टी का विकल्प अभी तक नहीं खुल पाया है।
बड़ी बात ये भी है कि इन सभी राज्यों में जितनी भी जातियां हैं, वो तय पैटर्न के तहत या तो कांग्रेस या बीजेपी के साथ जाती हैं। इसी वजह से आम आदमी पार्टी के लिए जातियों में सेंधमारी करना उतना भी आसान नहीं रहने वाला है। लेकिन जिन गारंटियों के दम पर दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाई गई, उन्हीं के सहारे अब इन तीन राज्यों में भी आम आदमी पार्टी अपने लिए विकल्प तलाश रही है।
कॉमन मैन वाली पॉलिटिक्स
खुद अरविंद केजरीवाल भी तीनों ही राज्यों में उन मुद्दों को सबसे ज्यादा हवा दे रहे हैं जहां पर जाति आधारित राजनीति करने की जरूरत नहीं है। वे बिजली बिल कम करने की बात करते हैं, गरीब के बच्चों को अच्छी शिक्षा का सपना दिखाते हैं, महिलाओं को हर महीने कुछ पैसे देने की बात होती है और बुजुर्गों को भी तीर्थ यात्रा का वादा करते हैं। ये सभी वादे कॉमन मैन को ध्यान में रखकर किए गए हैं। जिनकी भी इनकम कम है, वो सबसे ज्यादा इन वादों से प्रभावित होते हैं। अब ये वादे इन तीन राज्यों में कुछ कमाल करते हैं या नहीं, इस पर सभी की नजर रहने वाली है।