मध्यप्रदेश की निवास विधानसभा से फग्गन सिंह कुलस्ते को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में उनके नाम का ऐलान किया था। वह केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री हैं। उनका नाम विधानसभा चुनाव के लिए सामने आने के बाद चर्चा है कि उन्हें भाजपा की सरकार बनने की स्थिति में शिवराज सिंह चौहान की जगह सीएम पद पर बैठाया जा सकता है। वह प्रदेश में आदिवासी नेता के तौर पर काफी अच्छी पकड़ रखते हैं। इस आर्टिकल में हम फग्गन सिंह कुलस्ते के सियासी सफर की कहानी को जानेंगे।
फग्गन सिंह कुलस्ते : राजनीतिक जीवन
फग्गन सिंह कुलस्ते को 2019 में इस्पात मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था। उनका सियासी सफर मध्यप्रदेश की जमीन से शुरू हुआ और वह मध्यप्रदेश की राजनीति के एक अहम नेता रहे। वह मध्य प्रदेश के मंडला निर्वाचन क्षेत्र से देश की संसद में पहुंचे। फग्गन सिंह कुलस्ते ने 1996 से 2009 तक मंडला लोकसभा संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया। 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम से हारने के बाद, वह 2012 में राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 2014 की लोकसभा में अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी ओमकार मरकाम को हराकर सीट दोबारा हासिल की थी।
अब केंद्र सरकार की सियासत का सफर तय करने के बाद वह एक बार फिर घर लौटे हैं। वह उन चार मौजूदा सांसदों में से हैं जिन्हें भाजपा ने मध्य प्रदेश के महाकोशल क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मैदान में उतारा है। वह एक प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता की छवि
फग्गन सिंह कुलस्ते की छवि उनके राजनीतिक जीवन से पहले और बाद में जनता के बीच रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह रही है। वह शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करते रहे हैं। उन्होने आदिवासियों की संस्कृति को बढ़ावा देने और आम करने की ओर काफी ध्यान दिया है। वह कई शैक्षिक इकाइयों के संस्थापक और आयोजक भी रहे हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते ने शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए कई अभियान भी चलाए हैं। भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा है और वह इसे स्वीकार कर मैदान में आगे बढ़ गए हैं।