Loksabha Elections 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम चुनाव में वाराणसी सीट से ताल ठोंकने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का पर्चा साजिशन खारिज किया गया था। यह खुलासा हाल ही में किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में हुआ है। छिपे हुए कैमरे पर चुनाव आयोग (ईसी) के पर्यवेक्षक ने साफ तौर पर कबूला कि लगभग 48 घंटों तक वह यादव का पर्चा खारिज करने के लिए वजह ढूंढते रह गए थे।

हालांकि, इससे पहले यादव के वकील ने भी दावा किया था कि पर्यवेक्षक ने बनारस के जिलाधिकारी से उनके सामने कहा था कि बर्खास्त बीएसएफ जवान का पर्चा खारिज किया जाना है। बता दें कि पीएम के खिलाफ चुनाव में खड़े होने वाले यादव का नामांकन खारिज होने के बाद उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें जानबूझकर चुनाव लड़ने नहीं दिया जा रहा है।

उनके वकील राजेश गुप्ता ने दावा किया था, “वाराणसी चुनाव क्षेत्र के जो रिटर्निंग ऑफिसर (सुरेंद्र सिंह-डीएम) हैं, उन्होंने बताया था कि पेपर में कोई गलती नहीं है, तभी आंध्र के बड़े अधिकारी आए और डीएम से बोले कि तेज बहादुर की फाइल कहां है…डीएम से उन्होंने कहा कि इनका तो रिजेक्ट करना है।”

‘एबीपी न्यूज’ ने इस दावे की पड़ताल के लिए ईसी के पर्यवेक्षक के.प्रवीण कुमार किया, जिसमें उन्होंने साफ तौर माना कि उन्हें तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज करने की वजह ढूंढने में लगभग 48 घंटे का समय लगा था। देखें, स्टिंग में क्या बोले वहः

छिपे हुए कैमरे के सामने रिपोर्टर से कुमार ने कहा, “हम इसमें 48 घंटे…हम…पहले नॉमिनेशन और दूसरे नॉमिनेशन के बीच में गैप में बहुत हमने सब नियम देख लिए थे। इतना निगलेक्ट से कुछ भी नहीं…मैंने कलेक्टर और रिटर्निंग ऑफिसर से…फोन पर वकील से…ईसी से सबकी जानकारी ले ली। सब यही 33/3 तुम लोग कौन फैसला लेने को बोलता। जब धारा 33/3 है, तब आप क्या उम्मीद करें। आप नहीं कर सकते।”

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