लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। देश की राजनीति में 2014 के बाद से एक नाम लगातार छाया हुआ है, हर बार उनकी चर्चा हुई है, हर मुद्दा उनके केंद्र में रहा है, वो नरेंद्र मोदी ही हैं। विपक्ष का निशाना भी मोदी पर है, दुनिया की नजर भी मोदी है और बीजेपी तो सबसे ज्यादा उन्हीं के चेहरे का साथ ले ही रही है। ऐसे में एक बार फिर जब 2024 के लोकसभा चुनाव की रणभेद हो चुकी है, नरेंद्र मोदी के बारे में सबकुछ जानना जरूरी है।

अब किसी भी शख्यिसत को समझने का सबसे कारगर और असरदार तरीका SWOT ANALYSIS है। SWOT में S का मतलब STRENGTH, W का मतलब WEAKNESS, O का मतलब OPPORTUNITY और T का मतलब THREAT।

STRENGTH: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय लोकप्रियता के जिस शिखर पर पहुंचे हैं, उसका श्रेय उनकी तमाम सियासी ताकतों को ही जाता है। पीएम मोदी की सबसे बड़ी ताकत उनका तजुर्बा है। ये नहीं भूलना चाहिए मोदी ने अपनी राजनीति की शुरुआत एक प्रचारक के रूप में की थी। संघ के साथ काफी शुरुआत में ही वे जुड़ गए थे। पोस्टर लगाने से लेकर छोटे-छोटे कार्यक्रम करने तक, राजनीति की सारी ABCD उन्होंने कम उम्र में ही सीख ली थी।

जनता के साथ भी उनका कनेक्ट काफी पहले ही स्थापित हो चुका था। पहले संघ और बीजेपी के साथ काम करने की वजह से उन्हें पूरा देश भ्रमण करने का सुनहरा मौका मिला था। शुरुआत में क्योंकि ज्यादा बड़े नेता नहीं थे, ऐसे में हर जगर कार्यकर्ता की तरह जाते, वहां की सियासी, भागौलिक स्थिति समझते। अब आज के समय में जब पीएम मोदी अपनी हर रैली वहां के इलाके की खासियत की बात करते हैं, वहां की पहचान का जिक्र करते हैं, वो सिर्फ बयान मात्र नहीं होते, बल्कि उनका अनुभव बोलता है।

पीएम मोदी की दूसरी बड़ी ताकत उनका बोलने का अंदाज है। राजनीति में भाषणबाजी एक आम बात है, हर कोई स्टेज पर खड़ा होकर बोल सकता है। लेकिन लगातार जनता से कनेक्ट बनाए रखना, अपनी बातों से उन्हें बांधकर रखना एक कला होती है। बीजेपी में ही ये कला अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं में देखने को मिलती थी। लेकिन 2014 के बाद से पीएम मोदी ने उस बोलने वाली कला का इस्तेमाल अलग ही स्तर पर किया है। चुनौती कोई भी क्यों ना रही हो, उनके बोलने के अंदाज ने हर बार बीजेपी को फायदा पहुंचाया है। इसी वजह से वे बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक भी हैं।

बड़े फैसले लेने की ताकत रखना भी पीएम मोदी की शख्सियत के साथ जुड़ चुका है। अब उनके बड़े फैसले कितने सफल, कितने फेल हुए, इस पर डिबेट की जा सकती है, लेकिन ये बात हर कोई मानता है कि जिगरा बड़ा नरेंद्र मोदी ने हर बार दिखाया है। ये एक ऐसी खासियत है जो एक बड़े वोटर को मोदी की ओर आकर्षित करती है।

WEAKNESS: अब पीएम मोदी की ताकत मायने रखती है, लेकिन कुछ ऐसी कमजोरियां भी हैं जो उन्हें विपक्ष के निशाने पर लाती हैं। जनता के बीच में भी कुछ बातों को लेकर ऐसा नेरेटिव सेट हो चुका है कि उन्हें तोड़ना खासा मुश्किल हो जाता है। पीएम मोदी की सबसे बड़ी कमजोरी मुस्लिम समाज को लेकर बनी उनकी छवि है। कहने को उनकी सरकार ने ट्रिपल तलाक खत्म किया, कुछ दूसरे कदम भी उठाए, लेकिन मोटे तौर पर देखा जाए तो मुस्लिम समाज पीएम मोदी को बहुत ज्यादा उत्साह के साथ नहीं देखता है। इसका असर वोटिंग पैटर्न में भी देखने को मिल जाता है जहां पर बीजेपी 8 फीसदी से आगे नहीं बढ़ पा रही है।

पीएम मोदी की एक कमजोरी उनका दक्षिण भारत में कमजोर होना भी है। हिंदी में उनकी भाषणबाजी शानदार है, इसे लेकर कहीं कोई डिबेट नहीं है, लेकिन बात जब लोकल भाषा की आती है, दक्षिण में जाकर वे कमजोर पड़ जाते हैं। इसी वजह से तमिलाडु, केरल में अभी भी बीजेपी वो स्थान नहीं बना पाई जैसा उसने दूसरे राज्यों में किया है।

OPPORTUNITY: पीएम मोदी के सामने अभी कई तरह के अवसर है। एक तरफ अगर वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो वे बीजेपी के उन वादों को पूरा कर सकते हैं जिन पर अभी तक सिर्फ बहस होती दिखी है। बात चाहे एक देश एक चुनाव की हो या फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड की, अगर मोदी को फिर पीएम बनने का मौका मिलता है तो इन सभी कामों को पूरा किया जा सकता है और ये अपने आप में एक बड़ा अवसर साबित होगा। दावे तो बीजेपी ने पीओके को भी वापस भारत में मिलाने के किए हैं तो ये अधूरा काम भी एक अवसर बन सकता है।

THREAT: वर्तमान में पीएम मोदी को चुनावी मुकाबले में ज्यादा किसी से खतरा दिखाई नहीं देता है, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे जरूर हैं जो उनके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। बेरोजगारी के जिस मुद्दे को राहुल गांधी ने इस बार चुनावों के केंद्र में ला दिया है, उस पर सफाई देना पीएम के लिए भी आसान नहीं रहने वाला है। इसी तरह मणिपुर में जैसे हालात चल रहे हैं, जिस तरह से इतने महीनों बाद भी हिंसा नहीं थमी है, उसका क्रेडिट भी विपक्ष पीएम मोदी को ही देने वाला है, ऐसे में उस खतरे से बचना भी एक चुनौती साबित होगा। किसानों का जो आंदोलन अभी भी जमीन पर जारी है और जिस तरह से सरकार ने उसे हैंडल किया है, एक अंडरकरेंट है जो शायद बीजेपी और पीएम मोदी को चैन से बैठने ना दे।