Lok Sabha Election 2019: बिहार के सियासी गलियारों में नई कानाफूसी शुरू हुई है। लोग दबी जुबान से पूछ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार चुनाव बाद फिर से पाला बदलने की तैयारी में हैं? यह सवाल जदयू नेताओं के बदले सुर के चलते उठ रहे हैं। छह चरण के चुनाव हो जाने के बाद और आखिरी चरण के मतदान से ऐन पहले जदयू नेताओंं ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का मुद्दा उठा कर लोगों से वोट मांगा है। इस चुनाव में अब तक ऐसा नहीं हुआ था। भाजपा यह मुद्दा ठुकरा चुकी है।
जदयू द्वारा प्रचार का रुख मोड़ दिए जाने से भाजपा हैरान है। उसके नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार को अपने नेताओं का बयान खारिज कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी। पर, नीतीश चुप हैं। उनकी पार्टी के कद्दावर नेता, महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि 19 साल पहले जब बिहार का बंटवारा हुआ था तो राज्य से प्राकृतिक संसाधनों के भंडार और उद्योग छिन गए। उम्मीद के मुताबिक बिहार विकसित नहीं हो सका। ऐसे में अब केंद्रीय वित्त आयोग को राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने पर नए सिरे से सोचना चाहिए। अगर मतदाता जदयू को 15 सीटें जितवाते है तो पार्टी फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठाएगी। पत्रकारों से बातचीत में त्यागी ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिल जाने से बिहार के विकास से जुड़ी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। पार्टी के बिहार अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने भी उनकी बातों से सहमति जताई।
बता दें कि बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। 19 मई को आठ पर वोटिंंग है। जदयू और भाजपा 17-17 सीटों पर लड़ रही हैंं। पूरे छह चरण के चुनाव प्रचार के दौरान जदयू का जोर नीतीश कुमार द्वारा किए गए विकास कार्यों पर रहा। जबकि, उनकी सहयोगी भाजपा के नेता विकास से ज्यादा बड़ा मुद्दा राष्ट्रवाद को मानते हैं। सुशील मोदी ने एनडीटीवी चैनल से साफ कहा कि यहां बेरोजगारी, मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल खुलवाना (जिसका वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था) आदि कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि गांव हो या शहर, जब वह बालाकोट एयर स्ट्राइक की बात करते हैं तो सबसे ज्यादा तालियां बजती हैं।
विशेष राज्य का मुद्दा ऐसे समय उठाया गया है जब जदयू एमएलसी गुलाम रसूल बलयावी ने कहा था कि एनडीए को 2019 में सत्ता में आना है तो नीतीश कुमार को प्रचार में प्रमुखता देनी होगी और प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित करना होगा। हालांकि, उनके इस बयान को त्यागी और सिंंह ने एक तरह से खारिज कर दिया था। नीतीश कुमार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। जदयू के बदले सुर पर विरोधी मजे ले रहे हैं। विरोधी गठबंधन की साझीदार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा का कहना है कि लगता है जदयू ने 23 मई की स्थिति भांप ली है, पर अब उनके लिए बहुत देर हो चुकी है।
राजद ने भी त्यागी के बयान के बहाने नीतीश पर ताना मारा है। पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव का कहना है कि पाला बदलना नीतीश की फितरत है। जदयू भांप चुका है कि दिल्ली में एनडीए सरकार नहीं बनने वाली, इसलिए यह मुद्दा उठाया जा रहा है। जनता के मन में जो शक है, उसकी जमीन तैयार होने लगी है। हालांकि, भाजपा गठबंधन को लेकर निश्चिंंत है। बिहार में दोनोंं पार्टियोंं का मौजूदा गठबंधन जुलाई 2017 से चल रहा है। तब जदयू ने आरजेडी को छोड़ एक बार फिर भाजपा का दामन थामा था। तब से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर नीतीश और उनकी पार्टी ने चुप्पी साध रखी थी।
भाजपा के बड़े नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली यह कह कर विशेष दर्जे की मांग ख़ारिज कर चुके हैं कि अब ऐसी मांगों का दौर नहीं रहा। त्यागी का कहना है कि यह हमारी पुरानी मांग है और हम भाजपा के साथ रहते हुए भी इसे उठाते रहेंगे।