Lok Sabha Election 2019: राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने स्कूली किताबों से नोटबंदी का जिक्र हटा दिया है। किताबों को संशोधित करके वर्तमान सत्र के लिए दोबारा से प्रकाशित किया जाएगा। राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने यह जानकारी द इंडियन एक्सप्रेस को दी है। मंत्री ने कहा, ‘नोटबंदी सबसे नाकामयाब प्रयोग था। पीएम ने नोटबंदी के तीन उद्देश्य बताए थे- आतंकवाद और भ्रष्टाचार का खात्मा और कालाधन वापस लाना। इनमें से कोई भी मकसद पूरा नहीं हुआ और लोगों को लाइन में खड़ा होने के लिए मजबूर होना पड़ा। और तो और, देश पर 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ गया।’
बता दें कि पूर्व की बीजेपी सरकार ने 2017 में 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब में नोटबंदी को शामिल किया था। किताब में केंद्र सरकार के 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया गया था। साथ ही यह कहा गया था कि यह कवायद ‘ब्लैकमनी को खत्म करने का मिशन’ है। डोटासरा ने कहा कि आठवीं की किताब से जौहर करती महिला की फोटो भी हटाई गई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा महसूस किया गया कि इंग्लिश टेक्स्ट बुक में इस तस्वीर की कोई जरूरत नहीं है। हमें यह भी लगता है कि आज की महिलाएं ऐसी किताबें न पढ़ें जिनमें महिलाओं को खुद को जलाते हुए दिखाया गया हो। हम उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं?’
मंत्री की ओर से यह जानकारी ऐसे वक्त में सामने आई है जब एक दिन पहले ही उन्होंने ऐलान किया था कि सरकार स्कूली किताबों के उन हिस्सों का रिव्यू करेगी, जिनमें वीर सावरकर को ‘महिमामंडित’ किया गया है। मंत्री ने बताया था कि किताब में शामिल किया जाएगा कि सावरकर ने अंग्रेजों से दया याचना की थी।
बता दें कि 13 फरवरी को नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने शिक्षाविदों की दो रिव्यू कमेटी का गठन किया था। यह कमेटी पिछली बीजेपी सरकार द्वारा सिलेबस में किए गए बदलाव का अध्ययन करेगी और पता लगाएगी कि क्या ये बदलाव ‘राजनीतिक हितों को साधने और इतिहास से छेड़छाड़’ के मकसद से किए गए? वहीं, बीजेपी ने किताबों में बदलाव को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। बीजेपी का आरोप है कि ‘कांग्रेस सरकार उन देशभक्तों को नजरअंदाज कर रही है, जो हिंदुत्व से जुड़े हुए हैं।’

