Lok Sabha Election 2019: केरल का वायानाड लोकसभा सीट वीवीआईपी संसदीय क्षेत्र में शामिल हो चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। गुरुवार को राहुल ने इस सीट से अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। इस सीट को कांग्रेस पार्टी का सुरक्षित सीट भी माना जाता है। पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2009 में, कांग्रेस के एम आई शनावास ने सीपीआई के उम्मीदवार को पराजित कर इस सीट से जीत हासिल की। ऐसे में अमेठी के अलावा दक्षिण भारत के किसी सीट से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के लिए वायानाड सीट का चुनाव ठीक-ठीक और सावधानीपूवर्क किया गया है। बता दें कि अमेठी राहुल गांधी और कांग्रेस का पारंपरिक सीट है। वर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजदू राहुल गांधी ने भाजपा की स्मृति ईरानी को अमेठी से शिकस्त दी थी। इस बार भी अमेठी में मुकाबला राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच ही है।

वायानाड लोकसभा संसदीय क्षेत्र का निर्माण हाल ही में हुआ है और वर्ष 2008 में इसका परिसीमन तय हुआ था। हालांकि, पिछले साल निवर्तमान सांसद की मौत के बाद से यह सीट खाली है। यदि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो, यहां कुल मतदाताओं की संख्या 11,02,097 थी। इसमें से कांग्रेस के शनावास को 4,10,703 वोट मिले थे। जो कि कुल पोलिंग वोट गए का 49.86 प्रतिशत था। दूसरे नंबर पर रहे सीपीआई के उम्मीदवार एडवोकेट एम रहमतुल्लम को 31.23 प्रतिशत (2,57,264) वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के सी वासुदेवन मास्टर को 31,687 वोट मिले थे, जो कि करीब 3.85 प्रतिशत था। जबकि, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के. मुरलीधरण ने भाजपा उम्मदवार से बेहतर करते हुए 99,663 वोट प्राप्त किया था।

बात पिछले 2014 लोकसभा चुनाव की करें तो इस बार कांग्रेस के लिए मुकाबला थोड़ा कठिन रहा। कांग्रेस उम्मीदवार शनावास ने मात्र 20 हजार वोटों से सीपीआई उम्मीदवार को पराजित किया। इस चुनाव में कांग्रेस को जहां कुल पोल किए गए वोट का 30.18 प्रतिशत (3,77,035 वोट) और सीपीआई को 28.51 प्रतिशत (3,56,165 वोट) मिला। जबकि, भाजपा उम्मीदवार को मात्र 6.46 प्रतिशत (80,752 वोट) मिले।

कांग्रेस दक्षिण भारत के राज्यों में अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिशों में जुटी है। दरअसल हिंदी पट्टी के राज्यों में कांग्रेस कई क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर भाजपा का सामना करने की तैयारी में जुटी है। ऐसे में यदि कांग्रेस दक्षिण भारत के राज्यों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है तो वह भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोक सकती है। केरल की वायनाड सीट की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि केरल की सीमा कर्नाटक से मिलती है और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़कर केरल के साथ-साथ  कर्नाटक में भी पार्टी की मजबूत पकड़ बनाना चाहते हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केरल में अभी तक भाजपा का जनाधार काफी कमजोर रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों में यहां भाजपा की लोकप्रियता में तेजी आयी है। ऐसे में राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़कर भाजपा की राज्य में बढ़ती लोकप्रियता की भी काट खोजने की कोशिश करेंगे।

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