Lok Sabha Election 2019 का ऐलान हो चुका है। 11 अप्रैल से 19 मई तक कुल सात चरणों में वोट डाले जाएंगे जबकि नतीजे 23 मई को आएंगे। 2014 के मुकाबले इस साल चुनावी संघर्ष कठिन है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो पिछले चुनावों में कांग्रेस और उसके नेताओं के बुजुर्ग कहते रहे हैं, उन्हें विपक्ष के युवा नेताओं से टक्कर मिलने वाली है। बात चाहे मुख्य विपक्षी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन एवं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की हो या फिर उत्तर प्रदेश में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की हो। उत्तर प्रदेश में एक खास बात यह भी है कि इस सीट की 80 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा को दो प्रमुख जोड़ियों से महामुकाबला करना होगा। गठबंधन की तरफ से जहां मायावती और अखिलेश यादव की जोड़ी है, वहीं कांग्रेस की तरफ से भाई-बहन की जोड़ी है। साथ में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं।

पड़ोसी राज्य बिहार में भी 69 वर्षीय नरेंद्र मोदी, 68 वर्षीय नीतीश कुमार और 73 वर्षीय रामविलास पासवान की तिकड़ी का मुकाबला युवा तेजस्वी यादव, राहुल गांधी की टीम से होगा। झारखंड में भी हेमंत सोरेन की अगुवाई में चुनावी मुकाबला होगा। हेमंत की झारखंड मुक्ति मोर्चा वहां कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। पश्चिम बंगाल में टीम मोदी की भिड़ंत सीएम ममता बनर्जी की टीम से होनी है। 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल पर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की निगाहें पहले से गड़ी हैं लेकिन दीदी के गढ़ के भेद पाना आसान नहीं है। 2014 में टीएमसी को 34 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को मात्र दो सीटें मिली थीं।

दक्षिण में कर्नाटक में राहुल गांधी और सीएम एचडी कुमारस्वामी की जोड़ी टक्कर दे सकती है, जबकि महाराष्ट्र में राहुल के साथ-साथ एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले और भतीजे अजीत पवार चुनौती दे सकते हैं। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के अलावा वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन्न रेड़्डी और तेलंगाना में जगनमोहन के अलावा सीएम केसीआर के बेटे चुनौती पेश कर सकते हैं। तमिलनीडु में भी डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन और राहुल गांधी की जोड़ी भाजपा गठबंधन को चुनौती दे सकती है। कश्मीर में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेन्स के उमर अब्दुल्ला भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।