Lok Sabha Election 2019: कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए टॉम वडक्कन ने राहुल गांधी को ‘बिना जनाधार वाला आदमी’ बताया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अभी मैच्योर नहीं हुए हैं। शायद 10-15 साल बाद वे मैच्योर हो जाएं। पार्टी छोड़ते समय वडक्कन ने इसके पीछे की वजह ‘बालाकोट हमला’ को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रिया बताई थी। इस बाबत उन्होंने कहा कि रॉयटर्स ने कहा था कि बालाकोट में काई हमला नहीं हुआ। इसी आधार पर कांग्रेस इस हमले की आलोचना कर रही थी। जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
रेडिफ डॉट कॉम के साथ बात करते हुए, उन्होंने कहा, “मेरा उस समय यह सवाल था कि यदि वहां (बालाकोट) कोई हमला नहीं हुआ तो रॉयटर्स की एक टीम घोषणा के बाद वहां क्यों भेजी? यह स्पष्ट था कि उन्हें जानकारी थी कि हमला हुआ था। मेरा दूसरा सवाल यह था कि पाकिस्तानी प्रशासन ने रॉयटर्स की टीम को घटनास्थल पर जाने से क्यों रोक दिया? निष्कर्ष यह था कि रायटर को यकीन नहीं था और पाकिस्तानी प्रशासन के पास छिपाने के लिए कुछ था।”
उन्होंने आगे कहा, “परिस्थितिजन्य साक्ष्य से पता चला कि बालाकोट में आतंकवादी शिविर पर हमला हुआ था। हर चीज में राजनीति नहीं करनी चाहिए। आपने देखा कि भारतीय वायुसेना का जवान घायल चेहरे के साथ वापस आया, लेकिन इसके बावजूद यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या पाकिस्तान में हमला हुआ और हुआ तो कितने लोग मारे गए? यह अवांछित था। ऐसा नहीं होना चाहिए था। मुद्दा यह था कि सरकार ने ऐसा किया था और वे इसे करने के लिए पूरे तंत्र थे। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीति से अलग रखना चाहिए।”
टॉम वडक्कन करीब दो दशकों से कांग्रेस से जुड़े हुए थे। उन्हें सोनिया गांधी का करीबी भी माना जाता था। ऐसी स्थिति में पार्टी छोड़ने के सवाल पर वडक्कन ने कहा, “जब मैंने यह निश्चय किया तब मैं पूरी रात सो नहीं सका। मैं सोनिया जी के साथ अपने संबंधों के बारे में बात नहीं करना चाहता। यह एक रिश्ता था जो अस्तित्व में था और उन्होंने मुझे हमेशा प्रेरित किया। अब उनका बेटा आ गया है और मैंने उसे ज्यादा नहीं जाना है। जब मैं अपने नेताओं को नहीं देखता, जब मुझे उनके विचार नहीं आते, तो मुझे लगता था कि मेरे पास वहां रहने का कोई औचित्य नहीं है। यदि मुझे किनारे कर दिया गया तो मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि पूरी पार्टी को किनारे कर दिया गया। जब एक पार्टी कार्यकर्ता का संबंध खत्म हो गया था तो तब सबकुछ खत्म हो गया था। मुझे लगता है कि शायद 10-15 साल बाद राहुल गांधी एक राजनेता के तौर पर मैच्योर हों। ऐसा तब होता है जब आप अपने परिवार की वजह से पद पा लेते हैं।”

