उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा सीट जीतने के लिए अपने भरोसेमंद मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। यह जिम्मेदारी उन्होंने अपने बेहद करीबी मंत्रियों को सौंपी है। दो महीने पहले इन चौकीदारों को तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को भाजपा आलाकमान ने 20 क्लस्टरों में बांटा है।
योगी आदित्यनाथ ने कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिलदेव अग्रवाल और सहकारिता राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जेपीएस राठौर को पांच-पांच सीटों के क्लस्टर का प्रभारी बनाया गया है। सूर्य प्रताप शाही को आजमगढ़, लालगंज, घोसी, बलिया व सलेमपुर सीटों का क्लस्टर प्रभारी नियुक्त किया गया है। जेपीएस राठौर को सीतापुर, धौरहरा, लखीमपुर, हरदोई और मिश्रिख सीटों के क्लस्टर का प्रभारी बनाया गया है।
कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी को दो जिलों कानपुर नगर और मिर्जापुर का प्रभारी बनाया गया है। जबकि सुरेश खन्ना को लखनऊ और गोरखपुर का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। सूर्य प्रताप शाही को आजमगढ़ और अयोध्या का प्रभारी मंत्री बनाया गया है। स्वतंत्र देव सिंह को प्रयागराज और बांदा, नितिन अग्रवाल को प्रतापगढ़, आशीष पटेल को सुल्तानपुर, डा संजय निषाद को बहराइच, राकेश सचान को फतेहपुर और बेबी रानी मौर्य को झांसी का प्रभारी मंत्री बनाया गया हैं।
जबकि कपिल देव अग्रवाल को गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर और गौतमबुद्धनगर सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन मंत्रियों के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यपाल सैनी को सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मांट (मथुरा) के विधायक राजेश चौधरी को आगरा, फतेहपुर सीकरी, मैनपुरी व फिरोजाबाद, पूर्व मंत्री सुरेश राणा को बरेली, आंवला, बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत, क्षेत्रीय महामंत्री रामकिशोर साहू को कानपुर, अकबरपुर, फरुर्खाबाद, कन्नौज व इटावा का क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है।
इनके अलावा क्षेत्रीय महामंत्री संतविलास शिवहरे को झांसी व जालौन, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अनिल यादव को बांदा, हमीरपुर व फतेहपुर, रुद्रपुर (देवरिया) के विधायक जयप्रकाश निषाद को गोरखपुर, देवरिया, बांसगांव, कुशीनगर और महाराजगंज तथा पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को बस्ती, डुमरियागंज और संत कबीर नगर सीटों का क्लस्टर प्रभारी नियुक्त किया गया है। लोकसभा चुनाव के दो महीने पहले से ही अपने सिपहसालारों को मैदान में उतार कर योगी आदित्यनाथ ने इस कोई कसर न छोड़ने की रणनीति तैयार की है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि योगी और पार्टी आलाकमान अपनी इस रणनीति में कितना कारगर साबित होता है।