Lok Sabha Elections 2024: उत्तराखंड में 90 के दशक तक कांग्रेस के तिरंगे झंडे, वामपंथियों के लाल निशान या फिर जनता पार्टी और जनता दल की लहर का प्रभाव रहा। वर्ष 1991 में राम लहर उत्तराखंड की वादियों में इतनी अधिक प्रभावित हुई कि यह पर्वतीय क्षेत्र भगवा रंग में रंग गया और उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में भगवा रंग ही परचम लहराता रहा।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में तीन लोकसभा सीटें गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार के तहत आती है, जबकि कुमाऊं मंडल में दो सीटें नैनीताल संसदीय क्षेत्र और अल्मोड़ा सुरक्षित संसदीय क्षेत्र में आती है। इन पांचों सीटों पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। वर्ष 1952 से लेकर 1990 तक इन सीटों पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा जा रहा है। वर्ष 1977 में जनता लहर के समय कांग्रेस का उत्तराखंड में सफाया हो गया था, उसके बाद 89 में विश्वनाथ प्रताप की जनता दल की लहर में भी कांग्रेस को यहां नुकसान उठाना पड़ा।
उत्तराखंड की राजनीति राष्ट्र की राजनीति से प्रभावित रही
उत्तराखंड की राजनीति हमेशा देश की राष्ट्रीय राजनीति से प्रभावित रही है और यहां की जनता ने क्षेत्रीय दलों उत्तराखंड क्रांति दल तथा अन्य क्षेत्रीय दलों को कोई महत्त्व नहीं दिया है। 1990 के दशक से पहले कांग्रेस को उत्तराखंड में हमेशा वामपंथी दलों ने ही टक्कर दी है। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल का टिहरी क्षेत्र हमेशा लालघाटी के रूप में प्रसिद्ध रहा है। यहां पर वामपंथियों का कब्जा रहा है।
वामपंथी पार्टियों से यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं। लोकसभा में उत्तराखंड से वामपंथी दल कभी भी अपना प्रतिनिधि नहीं भेज पाए हैं। 1990 के दशक से पहले जनसंघ या भाजपा का यहां कोई दबदबा नहीं रहा। राम जन्मभूमि आंदोलन ने उत्तराखंड की देवभूमि को अपने प्रभाव में इतना अधिक जकड़ा की कि लोकसभा की पांचों सीटों पर भाजपा का ही राज चला आ रहा है और मुख्य दल भाजपा ही है। भाजपा के सामने विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस रही है।
हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस उम्मीदवार को हटाया
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पौड़ी संसदीय क्षेत्र ने पूरे देश की राजनीति को प्रभावित किया है। एक जमाने में देश की राजनीति के दिग्गज हेमवती नंदन बहुगुणा की यह लोकसभा सीट जन्मभूमि-कर्मभूमि दोनों रही। 1980 में बहुगुणा इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीते। उन्होंने कुछ दिनों बाद इंदिरा गांधी से खटपट होने के कारण लोकसभा सीट और कांग्रेस दोनों से इस्तीफा दे दिया। फिर भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार को इस सीट पर हराया।
यह उपचुनाव ऐतिहासिक था। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए इस सीट को प्रतिष्ठा की सीट बना लिया था और 36 जनसभाएं गढ़वाल मंडल में की थी और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की बीपी सिंह की सरकार थी और पूरी सरकार उपचुनाव में गढ़वाल मंडल में कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने के लिए पड़ी रही परंतु हेमवती नंदन बहुगुणा इतने लोकप्रिय थे कि कांग्रेस कि केंद्र और राज्य की सरकार उन्हें नहीं हरा सकी और उनकी ऐतिहासिक जीत हुई।