लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) में पहली बार वोट देने वाले युवाओं के लिए महिला सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। InUth (युवाओं को समर्पित एक वेबसाइट) की साझेदारी में Yuvaa (युवाओं का एक मीडिया संस्थान) द्वारा किए गए एक व्यापक ‘युवा सर्वेक्षण’ में यह बात सामने उभर कर आई है। सर्वे में पाया गया कि महिला सुरक्षा के बाद सांप्रदायिक राजनीति, हिंसा और भ्रष्टाचार को लेकर युवा वर्ग अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाला है।
जनवरी और मार्च के बीच InUth की साझेदारी में ‘यूथ अड्डा’ नाम के एक वीडियो सीरीज के जरिए देश के करीब 25 शहरों में युवाओं ने यात्रा की और 65 से अधिक कॉलेजों, जिनमें IIT, NIT, AIIMS, IIM, NIFT भी शामिल हैं, के 1000 से अधिक नौजवानों (अलग-अलग आर्थिक पृष्ठिभूमिक से संबंधित) से बातचीत की। इंटरव्यू के दौरान मिले गुणात्मक डेटा से सभी वर्ग के शहरों में रहने वाले नौजवानों के मनोस्थिति की जानकारी हासिल हुई। तमाम शहरों में युवाओं ने माना कि जनतंत्र की मजबूती के लिए मतदान करना बहुत जरूरी है। इस दौरान 29 फीसदी युवाओं ने कहा कि उनके पास वोटर आईडी नहीं होने की वजह से वे इस लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे।
https://www.youtube.com/watch?v=lyf77P9UKSo
फर्स्ट टाइम वोटरों का राजनीति पर नजरिया: पहली बार वोट देने वाले नौजवानों में से अधिकांश का नजरिया राजनीति को लेकर सही नहीं है। 55.6 फीसदी युवा राजनीति को नकारात्मक नजरिए से देखते हैं। इनमें 11.1 फीसदी के विचार तटस्थ हैं। जबकि, 33.3 फीसदी राजनीति को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि प्रथम श्रेणी के शहरों में रहने वाले युवक और युवतियां द्वितीय श्रेणी के शहरों के युवाओं के मुकाबले राजनीति को ज्यादा नकारात्मक नजरिए से देखते हैं। राजनीति के प्रति उदासीनता का कारण चुनावों में युवा प्रतिनिधित्व की बड़ी वजहों में से एक है। इसके बाद सांप्रदायिक घृणा और भ्रष्टाचार से युवा ज्यादा त्रस्त दिखाई दिए। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश छात्रों ने कहा कि वे उम्मीदवार के आधार पर मतदान करेंगे न कि पार्टी के आधार पर।

छात्रों के लिए अहम मुद्दे: 20% से अधिक छात्रों ने महसूस किया कि महिला सुरक्षा और सशक्तीकरण आज देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। लड़कियों के लिए इसके अलावा भ्रष्टाचार और गरीबी दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि लड़कों के लिए सांप्रदायिक हिंसा और शिक्षा है। दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बैंगलोर जैसे प्रथम श्रेणी के शहरों के छात्रों को लगा कि भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक हिंसा दूसरे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो उन्हें वोट देने के लिए मजबूर करेंगे, जबकि दूसरे श्रेणी के शहरों के लिए शिक्षा और बुनियादी ढांचा बड़े मुद्दे हैं।
सोशल मीडिया: सर्वे में एक चौंकाने वाली भी बात सामने आई। देश का 74.3 फीसदी युवा सोशल मीडिया को नकारात्मक रूप में देखता है। जबकि, 11 फीसदी के विचार तटस्थ थे। इस संदर्भ में दूसरे श्रेणी के छात्रों की संख्या 80 फीसदी है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण राजनीतिक दलों का अभियान, फेक न्यूज है। मीम्स कल्चर को युवाओं ने चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा जहरीला माना। 20.6 फीसदी युवाओं ने सोशल मीडिया को कट्टरपंथ और सांप्रदायिक घृणा फैलाने के संदर्भ में नकारात्मक माना।
https://www.youtube.com/watch?time_continue=8&v=GL8FmNPfs9Q
अन्य मुद्दे: 68 फीसदी छात्र NOTA को सकारात्मक रूप से देखते हैं। छात्र इस टूल को ‘प्रतिरोध’ का माध्यम मानते हैं। इसके अलावा 62 फीसदी छात्र राजनीति को जरूर मानते हैं। इनका कहना कि छात्र राजनीति के चलते अधिकांश युवाओं को सक्रिय राजनीति में उतरने का मौका आसानी से मिलता है।
गौर करने वाली बात यह है कि इंटरव्यू किए गए छात्रों में अधिकांश की पसंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। 86% छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी को सकारात्मक रूप से देखा। मोदी को पसंद करने का बड़ा कारण वह ‘विकास’ और सफल ‘अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति’ मानते हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि पीएम मोदी का समर्थन करने वाले सभी लोगों ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया। इनका मानना है कि उम्मीदवार और पार्टी को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में देखा जाना चाहिए। बीजेपी को जिन छात्र-छात्राओं ने नकारात्मक रूप में देखा, उन्होंने इसके लिए बीजेपी की ‘सांप्रदायिक राजनीति’ को बड़ा कारण बताया।