Lok Sabha Elections 2019: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होने के बाद नई पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी [लोहिया; PSP(L)] का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव बिना कोई आधिकारिक गठबंधन के एक से अधिक तरीके से राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के इनसाइड ट्रैक में छपे कूमी कपूर के एक कॉलम की खबर के मुताबिक यूपी में शिवपाल यादव भले ही कोई सीट नहीं जीत पाएं, मगर मध्य यूपी में यादव सीट वालों क्षेत्रों में उनकी वजह से वोट कटने की संभावना काफी अहम हो सकती है। शिवपाल यादव उन सभी सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार रहे हैं जहां से यादव परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि उन्होंने मैनपुरी से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है, जहां से सपा के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव चुनावी मैदान में हैं।
इनसाइड ट्रैक में लिखा गया है कि शिवपाल यादव ने अपना चुनावी नामांकन दाखिल करने वाले दिन मुलायम सिंह यादव के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी, ताकि मतदातओं के बीच इस धारणा का प्रचार हो सके कि भाई और बेटे के बीच चुनावी जंग में पिता मुलायम सिंह यादव तटस्थ हैं। पिछले महीने निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने भी सपा-बसपा गठबंधन इस आधार पर छोड़ दिया था कि महाराजगंज से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। सपा-बसपा ने 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में निषाद उम्मीदवारों दो सीटें देने का दावा किया था। जानना चाहिए कि संजय के बेटे प्रवीण निषाद पिछले साल की शुरुआत में गोरखपुर उपचुनाव में विजयी उम्मीदवार थे और उम्मीद की जा रही थी कि उन्हें फिर से मैदान में उतारा जाएगा।
कॉलम में लिखा गया कि सपा के अंदरूनी सूत्रों ने संजय निषाद को भाजपा में स्थानांतरित करने के लिए राजी करने में शिवपाल का हाथ होने का संदेह किया। एक दिन बाद प्रवीण निषाद भाजपा के पाले में चले गए और अब वो गोरखपुर से पार्टी उम्मीदवार हैं। इस दौरान डॉक्टर अय्युब सर्जन के नेतृत्व वाली पीस पार्टी पूर्वी यूपी में पसमांदा समुदाय के बड़े पैमाने पर पिछड़े मुसलमानों को शामिल करते हुए शिवपाल यादव के खेमे में आई गई। दोनों पार्टी गठबंधन में चुनावी मैदान में उतरेंगी।