Lok Sabha Elections 2019: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने दावा किया है कि महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार दोबारा वापस आना चाहते थे। ऐसा महागठबंधन से अलग होने के महज छह महीने के भीतर हुआ जब जेडीएस प्रमुख के तेवर बदल गए। लालू यादव ने उनके वापस आने पर हामी नहीं भरी, क्योंकि नीतीश से उनका भरोसा उठ चुका था। आरजेडी प्रमुख पर लिखी एक किताब में इस बात का दावा किया गया है। किताब के मुताबिक जेडीयू ने यह काम पार्टी उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को सौंपा। ऐसा पांच बार हुआ जब प्रशांत ने उन्हें मनाने की कोशिश की।
लालू की किताब ‘गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रा’ में लिखा गया, ‘किशोर ने संकते दिए कि मैं उन्हें लिखित में दूं कि मेरी पार्टी जेडीयू का समर्थन करेगी। इसके बाद पार्टी भाजपा से नाता तोड़कर दोबारा महागठबंधन में आ जाएगी। हालांकि मेरी नाराजगी नीतीश से नहीं थी, मगर उनपर से भरोसा उठ चुका था। मैं नहीं जानता था कि अगर मैंने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो 2015 में महागठबंधन को वोट देने वालों की क्या प्रतिक्रिया रहेगी।’ किताब रूपा पब्लिकेशन के बैनर तले छपी है जिसका सह-लेखन नलिन वर्मा ने किया है।
किताब में लालू कहते हैं, ‘मनाने के लिए प्रशांत किशोर ने मेरे बेटे तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी। उन्होंने गुजारिश की थी की अगर नीतीश वापस आ गए तो महागठबंधन यूपी और बिहार में 60 सीटें जीतेगा। हिंदी बेल्ट में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा। मगर सीधे तौर पर मैंने प्रशांत का प्रस्ताव ठुकरा दिया। मैंने प्रशांत को बताया कि नीतीश की दगाबाजी से जनता नाराज है। लोगों में मुख्यमंत्री की कोई विश्वसनीयता नहीं है।’
गौरतलब है कि मामले में जब प्रशांत किशोर से उनका पक्ष जानना चाहा तो ना तो उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और ना ही सच कहा। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ नहीं बोल रहा। ना इस किताब में लिखी बातों की पुष्टि कर रहा। गठबंधन से अलग होने का सीएम नीतीश का विचार अच्छा था मगर उनके तरीके से सहमत नहीं था।’