उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से बेटे के कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसेले के बाद भाजपा नेता ने सार्वजनिक रूप से उनसे अपने रिश्ते खत्म कर लिए। भाजपा एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह ने कहा कि उनके बेटे डॉक्टर अरविंद सिंह को कांग्रेस द्वारा चुनावी मैदान में उतारने के बाद ऐसा फैसला लिया। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उनके परिवार के झगड़े का लाभ उठाया है लेकिन वह अभी भाजपा के प्रति निष्ठावान है। जयवीर सिंह पूर्व बसपा विधायक हैं। बता दें कि रविवार (17 मार्च, 2019) को फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने कहा उनका पूरा परिवार भाजपा के प्रति निष्ठावान हैं। ‘मैं अपने इस निर्णय से सर्वजन को अवगत कराना चाहता हूं।’ शीर्षक के साथ जयवीर सिंह ने लिखा, ‘मेरा संपूर्ण परिवार, पत्नी राजकुमारी, पुत्र अभिमन्यु समेत तीनों पुत्र और भतीजा उपेंद्र सिंह नीटू सभी भाजपा के प्रति संपूर्ण निष्ठा के साथ समर्पित हैं। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याण नीतियों के प्रति हमारी सच्ची प्रतिबद्धता है।

पोस्ट में आगे लिखा गया, ‘मेरे पुत्र अरविंद कुमार सिंह का 2 वर्ष से उनके विवाह उपरांत ही हमारी विचारधारा के प्रति विद्रोह प्रकट होने लगा था और वो परिवार से अलग रहने लगे थे। जब मैंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी उस काल में भी भाजपा एवं उनकी नीतियों से वह विमुख थे। जिसके फलस्वरूप वो पार्टी के सदस्य नहीं बने थे। अतः उन्हें यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति (चांसलर) के सर्वोच्च पद से कार्यमुक्त कर दिया गया था। अब उनके साथ सभी सामाजिक और राजनीतिक संबंधों पर पूर्ण विराम लग चुका है। कांग्रेस ने मेरे परिवार के राजनीतिक मतभेदों का फायदा उठाते हुए यह कूटनीतिक चाल एवं राजनीतिक षडयंत्र रचा है। मैं और मेरा शेष परिवार माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कल्याणकारी नीतियों के घनघोर समर्थक ही नहीं अपितु उनका अक्षरशः पालन करने हेतु कृत्संकल्प है और भविष्य में भी भारतीय जनता पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में अपनी कटिबद्धता और निष्ठा प्रमाणित करते रहेंगे।’

गौरतलब है कि साल 2017 में जयवीर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के मंत्री मंडल के लिए अपनी एमएलसी की सीट खाली कर दी थी। साल 2018 में यूपी विधान परिषद के चुनाव में वह दोबारा चुने गए। वहीं अरविंद सिंह ने 2014 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के सतीश कुमार गौतम के हाथों उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस ने डॉक्टर अरविंद का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने फोन या एसएमएस का जवाब नहीं दिया।