दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट इस बार सबसे कड़ा मुकाबला देखने जा रही है। जहां पर पहले बीजेपी दिल्ली की सभी 7 सीटें जीतने का दम भर रही थी, अब वहां पर नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस ने अब तक का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को यहां से चुनावी मैदान में उतार दिया गया है। कहने को कन्हैया का जन्म बिहार के बेगूसराय में हुआ है, लेकिन लोकप्रियता उन्हें राजधानी दिल्ली में ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक विवाद के बाद मिली।
कांग्रेस का दावा है कि कन्हैया युवाओं के बीच में खासा लोकप्रिय हैं, उनकी मजबूत पैठ वहां बनी हुई है, दूसरी तरफ मनोज तिवारी दो बार से लगातार इसी सीट से बड़ी जीत दर्ज कर रहे हैं। 2014 में उन्होंने यहां जीत का डंका बजाया था और फिर 2019 के चुनाव में भी जीत हासिल की। ऐसे में एक तरफ अगर अनुभव बीजेपी के साथ खड़ा है तो दूसरी तरफ युवाओं के बीच में एक नए विकल्प के रूप में कन्हैया कुमार उभरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जमीन पर किसके पक्ष में माहौल बन रहा है, आखिर कौन आगे और कौन पीछे दिखाई पड़ रहा है, इसकी पड़ताल हमने की है।
ये सफर वैसे तो दिल्ली से ही सटे गाजियाबाद से शुरू हुआ था, लेकिन राजनीतिक फिजा को समझने के लिए हमने सीलमपुर और जाफराबाद जाने का फैसला किया। ये दोनों ही इलाके नॉर्थ ईस्ट सीट के अंदर आते हैं, 2020 में जब राजधानी में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, यहां सबसे ज्यादा हिंसा देखने को मिली थी, जमीन पर जबरदस्त तनाव था। अब हिंसा दंश से तो लोग उभर चुके हैं, लेकिन यहां की सियासत आज भी उबाल मारती रहती है। जब हमने सीलमपुर में लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरू किया, उम्मीद के मुताबिक एक पैटर्न साफ-साफ दिखाई दे गया- मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर लोग कन्हैया कुमार के साथ मजबूती से खड़े थे, वहीं हिंदू वोटर खुलकर मनोज तिवारी के लिए बैटिंग कर रहा था।
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जिन लोगों ने सीलमपुर-जारफराबाद में बीजेपी के मनोज तिवारी का समर्थन किया, उनका वोट सांसद से ज्यादा मोदी के चेहरे पर था। एक नहीं, कई ऐसे लोग सामने आए जिन्होंने दो टूक कहा हमारा वोट सिर्फ और सिर्फ मोदी के लिए है, जहां ईवीएम में कमल दिखेगा, बटन दबा दिया जाएगा। कई ऐसे भी लोग सामने आए हैं जिनका कहना रहा है कि उन्होंने अपने इलाके में मनोज तिवारी एक बार भी नहीं देखा, उन्हें इस बात से फर्क भी नहीं पड़ रहा कि तिवारी ने उनके लिए काम किया या नहीं।

इस बारे में एक शख्स ने हमसे बात करते हुए कहा कि अगर मोदी का चेहरा ना हो तो मनोज तिवारी कभी भी नहीं जीत सकते। उन्हें जीत सिर्फ इसलिए मिल रही है क्योंकि उनके साथ नरेंद्र मोदी है। लोगों को सिर्फ मोदी से मतलब हैं, हम सभी को सिर्फ मोदी का हाथ मजबूत करना है। अब एक तरफ अगर मोदी के चेहरे पर वोट देने की बात है तो दूसरी तरफ कन्हैया कुमार को लेकर भी लोगों की राय बंटी नजर आई।
एक बुजुर्ग ने हमसे कहा कि कन्हैया कुमार एक अच्छा लड़का है, पढ़ा-लिखा है, वो दिल्ली में अच्छा काम कर सकता है। वहीं दूसरे ने टोकते हुए कह दिया कि जो देश के टुकड़े करने की बात करेगा, उसे कोई क्यों वोट दे। कुछ लोगों ने तो कांग्रेस के चयन पर सवाल उठाने का काम भी किया, उनका मानना रहा कि कन्हैया से बेहतर कई दूसरे उम्मीदवार हो सकते थे।