उत्तर प्रदेश चुनाव में मुरादाबाद की सीट मायने रखती है। पिछले कई सालों से इस सीट पर जातीय समीकरण हार जीत को तय कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट से एसटी हसन ने मुरादाबाद में एक बड़ी जीत दर्ज की थी। तब भाजपा दूसरे नंबर पर रही और कांग्रेस को तो काफी कम वोट मिले थे।
पिछले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन था, ऐसे में दोनों ने संयुक्त रूप से एसटी हसन को मैदान में उतारा था। उस चुनाव में बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह टक्कर देने का काम कर रहे थे। बड़ी बात ये थी कि 2014 में मोदी लहर के दम पर कुंवर सर्वेश सिंह ने भी मुरादाबाद सीट से बड़ी जीत दर्ज कर रखी थी। इसी वजह से पिछली बार भी बीजेपी ने उन्हीं पर भरोसा जताया लेकिन एसटी हसन ने सभी समीकरणों को तोड़ते हुए एक बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह को 58000 से भी ज्यादा मतों से हरा दिया। उस चुनाव में कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा था लेकिन उन्हें 60000 वोट भी नहीं मिल पाए।
जानकारी के लिए बता दे मुरादाबाद में अभी तक कुल 11 मुस्लिम प्रत्याशी जीत दर्ज कर चुके हैं, 6 बार दूसरे उम्मीदवारों को मौका मिला है। आजादी के बाद से कांग्रेस को दो बार इस सीट पर जीत दर्ज मिली है, इसके बाद 2009 में कांग्रेस ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को भी राजनीति में उतारा था और तब अजहरुद्दीन ने भी मुरादाबाद सीट अपने नाम कर ली थी।
मुरादाबाद के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर 45 फ़ीसदी से भी ज्यादा मुसलमान हैं और पिछले कई सालों से यही वर्ग इस सीट पर हार जीत तय कर रहा है। इसके अलावा अनुसूचित जाति के जाटव वोटर भी मुरादाबाद में निर्णायक साबित होते हैं। इस सीट पर 10 फिसदी के करीब उनकी उपस्थिति