चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान कर दिया है। पूरा चुनाव 7 चरणों में होगा। 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होगी। दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां 20 मई, छठवां 25 मई और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। वहीं, चुनाव परिणाम 4 जून 2024 को आएंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के एक दिन बाद ECI ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती 4 जून के बजाय 2 जून 2024 को होगी।
लोकसभा और चार राज्य विधानसभाओं के चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने के एक दिन बाद भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को दो राज्यों- सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में वोटों की गिनती की तारीख को आगे बढ़ाकर 2 जून कर दिया क्योंकि दोनों विधानसभाओं की अवधि 2 जून 2024 को खत्म होने वाली है।
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में बदली वोट काउंटिंग की तारीख
चुनाव आयोग ने कहा कि इन राज्यों की लोकसभा सीटों (अरुणाचल प्रदेश की दो सीटें और सिक्किम की एक सीट) की गिनती आंध्र प्रदेश और ओडिशा की अन्य सभी लोकसभा सीटों और विधानसभाओं के साथ निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 4 जून को होगी। इन चार राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए हैं।
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के एक दिन बाद, ईसीआई ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा सीटों के लिए गिनती 4 जून के बजाय 2 जून को होगी। ईसीआई अधिकारियों के अनुसार, घोषणा होने के बाद यह महसूस किया गया कि 2 जून को इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में गिनती की तारीख को बदलना पड़ा क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी थी।
विधानसभाओं और लोकसभा की शर्तों पर क्या कहता है संविधान?
संविधान के तहत, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा दोनों का कार्यकाल सदन की पहली बैठक से पांच साल तक चलता है। आर्टिकल 172(1) में कहा गया है, “प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधानसभा जब तक कि जल्दी भंग न हो जाए, अपनी पहली बैठक के लिए नियुक्त तिथि से पांच साल तक जारी रहेगी और इससे अधिक नहीं। पांच साल की इस अवधि की समाप्ति के बाद विधानसभा भंग हो जाएगी।”
विधानसभा का कार्यकाल आपातकाल के दौरान संसद द्वारा बढ़ाया जा सकता है। यह एक समय में एक साल से ज्यादा की अवधि के लिए और किसी भी मामले में आपातकाल की उद्घोषणा खत्म होने के बाद छह महीने की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। वहीं, लोकसभा के लिए आर्टिकल 83(2) में कहा गया है, “लोकसभा जब तक कि जल्दी भंग न हो जाए, अपनी पहली बैठक के लिए नियुक्त तिथि से पांच साल तक जारी रहेगा इससे अधिक नहीं। पांच साल की अवधि की समाप्ति पर सदन भंग कर दी जाएगी।
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की विधानसभाओं पर कैसे लागू होते हैं यह नियम?
सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की मौजूदा विधानसभाएं पहली बार 3 जून, 2019 को शुरू हुईं और इसलिए उनका कार्यकाल 2 जून, 2024 को समाप्त होगा। अधिकारियों ने कहा कि मतगणना पूरी हो जाएगी और परिणाम उस दिन आधी रात से पहले घोषित किए जाएंगे और फिर दोनों राज्यों के राज्यपाल नई विधानसभाओं के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर सकते हैं।
चुनाव कार्यक्रम तय करते समय चुनाव आयोग किन बातों पर गौर करता है?
ECI के लिए यह मानक प्रक्रिया है कि वह निर्णय लेते समय मौसम, त्योहारों और महत्वपूर्ण परीक्षाओं के साथ-साथ स्कूल भवनों की उपलब्धता, जहां अक्सर मतदान केंद्र स्थापित किए जाते हैं, शिक्षकों जिन्हें चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात किया जाता है जैसे कारकों पर विचार करे।
कई सेवारत और पूर्व चुनाव अधिकारियों ने कहा कि विधायिका के कार्यकाल की समाप्ति की तारीख पहली चीज है जिस पर विचार किया जाता है। यह तारीख पूरे पांच साल पहले से पता होती है क्योंकि इसकी गणना मौजूदा सदन की पहली बैठक की तारीख से की जाती है। पूर्व सीईसी एस वाई क़ुरैशी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चूंकि सदन का कार्यकाल निश्चित है, ऐसे में चुनाव आयुक्तों और उप चुनाव आयुक्तों को ये तारीखें उनकी उंगलियों पर याद रहती हैं। उन्होंने कहा, “ईसीआई सदन का कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम एक दिन पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की दिशा में काम करता है,जिसका अर्थ है कि परिणाम कुछ दिन पहले घोषित किए जाते हैं और दस्तावेजीकरण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए एक या दो दिन रखे जाते हैं।”