कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के अलावा केरल के वायनाड से भी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इस बार उन्हें वायनाड में ना केवल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ चुनाव लड़ना है बल्कि अपने जैसे नाम वाले उम्मीदवारों से भी चुनाव लड़ना होगा। बता दें कि वायनाड से कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी के अलावा 23 अप्रैल को मतदान से पहले राहुल गांधी, राघुल गांधी, केवी शिवप्रसाद गांधी जैसे नाम के उम्मीदवारों ने भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नामांकन पत्र भरा है।

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कांग्रेस अध्यक्ष के बाद दूसरे राहुल गांधी केई ने किया नामांकन: दरअसल, गुरूवार को रिटर्निंग अधिकारी के सामने राहुल गांधी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसके कुछ ही घंटे बाद राहुल गांधी केई (33) ने भी एक निर्दलीय उम्मीदवार तौर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। बता दें कि कोट्टायम के एरुमेली गांव के निवासी राहुल गांधी केई लोक संगीत के शोधकर्ता हैं, उनके छोटे भाई का नाम राजीव गांधी केई है जो कि एक सीपीएम समर्थक है। गौरतलब है कि इनके पिता दिंवगत कुंजुमोन एक कांग्रेसी थे और गांधी परिवार के प्रशंसकों में शामिल थे।

वायनाड में नामांकन जमा करते हुए उम्मीदवार

वायनाड से चुनाव लड़ रहे तीसरे गांधी: बता दें कि वायनाड से राघुल गांधी ने भी चुनावी मैदान में उतरने का मन बना लिया है। इसके मद्देनजर उन्होने नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है। 30 वर्षीय राघुल तमिलनाडु के कोयम्बटूर से हैं। वह एआईएमके उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। राघुल ने बताया कि मेरे पिता कृष्णन पी एक स्थानीय कांग्रेस नेता थे जो कि बाद में अन्नाद्रमुक पार्टी में चले गए थे। उन्होंने बताया कि जब उनके पिता कांग्रेस में थे तब उन्होंने मेरा नाम राघुल गांधी रखा था। इसके अलावा मेरी बहन का इंदिरा प्रियदर्शिनी रखा गया था। बकौल राघुल ये उनका तीसरा चुनाव है। इससे पहले 2016 में उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दौरान कोयम्बटूर में सिंगनल्लूर सीट से चुनाव लड़ा था और 2014 में उन्होंने कोयंबटूर में निकाय का चुनाव भी लड़ा था।

वायनाड से शिवप्रसाद गांधी भी हैं उम्मीदवार: बता दें कि केरल की वायनाड सीट से केएम शिवप्रसाद गांधी भी चुनाव लड़ रहे हैं। 40 वर्षीय शिवप्रसाद त्रिशूर के रहने वाले हैं और पेशे से वो एक संस्कृत शिक्षक हैं। गांधी ने बताया कि मैं भारतीय गांधीवादी पार्टी (केरल में एक गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा हूं। उन्होंने बताया कि मेरे पिता केके मुकुंदन कांग्रेस कार्यकर्ता थे। शिवप्रसाद गांधी ने कहा कि मैं तीन साल पहले ही भारतीय गांधीवादी पार्टी में शामिल हुआ और इसके बाद मैंने उपनाम गांधी को अपने नाम में जोड़ने का फैसला किया।

गौरतलब है कि समान नाम वाले उम्मीदवारों की वजह से अक्सर मतदाता भ्रमित हो जाता है। इसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने पहली बार ईवीएम पर उम्मीदवारों की तस्वीरें लगाने का ऐलान किया है। बता दें कि वायनाड से 2004 के लोकसभा चुनावों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीएम सुधीरन अलप्पुझा 1,009 वोटों से चुनाव हार गए थे।