Lok Sabha Election 2019 के लिए रविवार (12 मई) को देशभर में छठे चरण के लिए मतदान होगा। झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग का यह तीसरा चरण होगा। झारखंड में सिंहभूम, जमशेदपुर, धनबाद और गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में होने वाले मतदान के लिए प्रचार का शोर थम चुका है। इन चारों सीटों के लिए 67 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। चारों सीट पर शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाके में जातिवादी गोलबंदी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी दिख रहा है। इसका लाभ किस दल को मिलेगा यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही सामने आएगा।
चारों सीटें भाजपा के कब्जे मेंः 12 मई को झारखंड की जिन चार सीटों पर वोटिंग होनी है, उन पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। इन सीटों को भाजपा से छीनने के लिए महागठबंधन जोर लगा रहा है। गिरिडीह सीट पर आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी और झामुमो के जगन्नाथ महतो के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं, सिंहभूम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा और कांग्रेस की गीता कोड़ा (पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी) आमने-सामने हैं।
उधर, जमशेदपुर में भाजपा के प्रत्याशी विद्युतवरण महतो और झामुमो के चंपई सोरेन के बीच मुकाबला है। वहीं धनबाद में भाजपा के पीएन सिंह और कांग्रेस के कीर्ति आजाद के बीच कांटे की टक्कर है। इन सीटों पर प्रत्याशियों के लिए राष्ट्रवाद एक मुद्दा है, लेकिन क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी जबर्दस्त वोटिंग की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को बुनियादी सवालों के साथ एंटी इनकमबेंसी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन को चुनाव प्रबंधन में और कई सीटों पर प्रचार में पिछड़ने का भी नुकसान उठना पड़ सकता है।
National Hindi News, 11 May 2019 LIVE Updates: दिनभर की अहम खबरों के लिए क्लिक करें
जमशेदपुर में भाजपा को कुर्मी वोटों का सहाराः जमशेदपुर लोकसभा सीट पर भाजपा को कुर्मी वोटों और शहरी मतदाताओं का साथ मिलने की उम्मीद है। वहीं, झामुमो को ग्रामीण वोटों पर भरोसा है। सिंहभूम सीट पर भाजपा को उड़िया भाषा बोलने वाले लोगों का साथ मिलने की उम्मीद है, साथ ही ईचा बांध के संभावित डूब क्षेत्रों में कांग्रेस को अच्छे समर्थन की उम्मीद है। गिरिडीह सीट पर महतो मतों का बंटवारा दिख रहा है, लेकिन जगन्नाथ महतो को स्थानीय होने का लाभ भी मिलता दिख रहा है। धनबाद सीट पर कभी भाजपा के पीएन सिंह तो कभी कांग्रेस के कीर्ति आजाद आगे नजर आ रहे हैं, लेकिन आजाद को कांग्रेस के बागियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, मैथिली भाषा बोलने वालों का वोट कीर्ति आजाद को मिलने की संभावना है।

