Lok Sabha Election 2019: रिजवान नादरी खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का प्रशंसक बताते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं केंद्र सरकार को 20 मिलियन लीटर प्रति दिन क्षमता वाले कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) की मंजूरी देने के लिए बधाई देता हूं। इससे हमें नई जिंदगी मिलेगी।’ दरअसल, 34 साल के रिजवान नादरी टैनिंग इंडस्ट्रीज के मालिक हैं। हालांकि, रिजवान की 3 चमड़ा फैक्ट्रियां कानपुर के जाजमऊ स्थित चमड़ा कारोबार से जुड़े उन 241 में शामिल हैं, जिसे योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली बीजेपी सरकार ने बंद करा दिया था। खास तौर पर जनवरी 15 से 4 मार्च तक चलने वाले अर्ध कुंभ मेले के दौरान गंगा को स्वच्छ रखने के मकसद से योगी सरकार ने यह ऐक्शन लिया था। नादरी के मुताबिक, उन्हें मेला शुरू होने से काफी पहले 20 नवंबर से ही फैक्ट्रियां न चलाने का आदेश मिला था। नादरी के मुताबिक, मेला खत्म हो चुका है, लेकिन अभी तक वे आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
एक आकलन के मुताबिक, सिर्फ जाजमऊ में चमड़े की फैक्ट्रियों से 1 लाख लोगों का रोजगार जुड़ा है। इसके अलावा, 3 लाख अन्य लागों को संबंधित व्यवसायों मसलन- कार के लिए और घरेलू चमड़े की चीजें, सेफ्टी और फैशन शूज, सैंडल और चप्पल, बेल्ट और बैग आदि के काम से रोजगार मिलता है। चमड़े की इन फैक्ट्रियों को कच्चे माल के तौर पर भैसों की खाल मुख्य तौर पर आधुनिक बूचड़खानों से मिलती है। हालांकि, नादरी अपने व्यवसाय की दुश्वारियों के लिए मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराते। उन्होंने कहा, ‘जाजमऊ में 617 करोड़ रुपये के CETP प्रोजेक्ट को अगस्त 2018 में मंजूरी दी गई थी। इसे केंद्र के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत फंड मिलना है। इससे चमड़ा फैक्ट्रियों से गंगा में गिरने वाले अपशिष्ट पदार्थों से जुड़ी सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी।’
हालांकि, इस बिजनेस से जुड़े सभी रिजवान की तरह सकारात्मक नहीं सोच रहे। इनमें तो बहुत सारे यहां तक मानते हैं कि जाजमऊ की फैक्ट्रियों से गंगा में कोई प्रदूषण ही नहीं होता। नाम न सार्वजनिक किए जाने की शर्त पर इस व्यवसाय से जुड़े एक शख्स ने दावा किया कि कारखानों के गंदे पानी की एक बूंद भी गंगा में नहीं गिरती। उनके मुताबिक, गंदे पानी का शुरुआती ट्रीटमेंट करने के बाद आसपास के गांवों में सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि जाजमऊ कानपुर नगर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जहां 29 अप्रैल को मतदान है। 20 नवंबर से पहले यहां 269 चमड़े की फैक्ट्रियां चल रही थीं। इस वक्त सिर्फ 28 ही चल रही हैं, जिनका गंदा पानी एक सिंगल फंक्शनिंग पंपिंग स्टेशन से गुजरता है। कानपुर ही नहीं, नजदीक के उन्नाव में भी चमड़ा कारोबार से जुड़े लोगों ने अपनी दिक्कतें बयां की है।