Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने भले ही बहुमत का आंकड़ा अपने दम पर पार किया था। देश के कई हिस्स में बीजेपी का जादू चला था लेकिन ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में बीजेपी को सिर्फ एक ही सीट हासिल हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ओडिशा की इस लोकसभा सीट को भी बचाने की जद्दोजेहद में है। इस सीट पर कांटे की टक्कर है और पार्टी के बागी के नेता के चलते बीजेपी के हिस्से से यह सीट खिसक भी सकती है। जनजातीय मामलों के मंत्री रह चुके जुएल ओराम सुंदरगढ़ सीट से एक बार फिर मैदान में हैं। साल 2014 में उन्होंने बीजेडी के उम्मीदवार दिलीप तर्की को मात्र 18,829 वोट से हराया था। इस बार इस सीट पर बीजेपी के इस नेता को कांग्रेस और बीजेडी से कड़ी टक्कर मिलती नजर आ रही है।कहा जाता है कि ओराम की जीत में राउरकेला से बीजेपी विधायक दिलीप राय ने अहम भूमिका निभाई थी।वह ओडिशा के संपन्न नेताओं में से एक हैं।

लेकिन छत्तीसगढ़ संग राज्य के महानंदी जल विवाद और ब्राम्हाणी नदी पर दूसरा सबसे बड़ा पुल के अधूरे वादे और राउरकेला में अस्पताल बनाने की बात पूरी ना होने की वजह से नाराज इस भाजपा विधायक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और इतनी है नहीं उन्होंने अपने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था।वह बीजेपी से पहले बीजेडी में रहे थे और इस्तीफे के बाद वह मार्च में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे कि बीजेपी छोड़ने के बाद वापस बीजेडी में जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हाल ही में दिलीप रे ने राउरकेला में कई योजनाओं के लिए धन आवंटित करने को लेकर ट्विटर पर पीएम मोदी का आभार प्रकट किया था। इस दौरान ओराम ने दिलीप रे से बीजेपी के लिए आधिकारिक तौर पर प्रचार करने की अपील की थी।लेकिन वह फिलहाल किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं।

बीरमित्रपुर से चार बार विधायक जार्ज टिर्की को कांग्रेस ने उतारा है और ओराम के लिए समस्या यही है। 5 फरवरी को राहुल गांधी ने भी राउरकेला में एक रैली के दौरान आदिवासियों को वोट लुभाने के लिए पेसा एक्ट को और मजबूत करने की बात कही थी।वहीं,क्षेत्र के बीजेपी नेताओं का कहना है कि 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का भाषण भी ज्यादा मददगार साबित नहीं हुआ। अपने भाषण के दौरान उन्होंने राष्ट्र विरोधी गतिविधि और धर्म परिवर्तन को रोकने की बात कही थी।

सुंदरगढ़ इलाके में कुल 18 प्रतिशत ईसाई रहते हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही दिलीप टिर्की भले ही मजबूत नेता हो लेकिन उनके साथ भी एक समस्या है। वह जेएमएम छोड़कर छोड़कर आए हैं जिसका सुंदरगढ़ में अच्छा प्रभाव है। बीरमित्रपुर में भी वह निदर्लीय प्रत्याशी के तौर पर जीते हैं।वहीं बीजेडी ने सुनीता बिस्वाल को उतारा है जो कांग्रेस के नेता और ओडिशा के पूर्ल सीएम हेमानंद बिस्वा की बेटी हैं। भूइयां समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है।

ये कहते हैं आंकड़े-
2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से लड़ रहे ओराम को 33.69 % वोट मिले थे। बीजेदी को 31.83% कांग्रेस को 26.65% वोट मिले थे। वहीं, 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बिस्वाल को 36.53% बीजेपी को 35.03 % और सीपीएम गठबंधन को 9.34% वोट हासिल हुए थे।