लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा-बसपा और आरएलडी ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सपा के गढ़ कन्नौज से एक बार फिर सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में है। डिंपल यहां से 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज कर चुकी हैं। लेकिन इस बार डिंपल के विजय रथ को रोकने के लिए बीजेपी विधानसभावार योजना बना रही है। गौरतलब है कि कन्नौज की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर बीजेपी का कब्जा है और बीजेपी इन्हीं सीटों के गणित के सहारे लोकसभा चुनाव में सपा के लिए मुसीबत खड़ी करने की योजना बना रही है। बीजेपी ने यहां फिर से सुब्रत पाठक को मैदान में उतारा है।

कन्नौज का गणित: कन्नौज से डिंपल यादव ने अपना नामांकन भर दिया है। यहां 5 विधानसभा सीट है जिसमें बीजेपी के खाते में 4 सीटें है और सपा के खाते में एक सीट है। 2014 में जब डिंपल ने यहां से चुनाव जीता था उस वक्त कन्नौज की सभी विधानसभा सीटों पर सपा के विधायक थे लेकिन तब भी डिंपल की जीत का अंतर 14000 से कम रहा था। लेकिन बदली परिस्थितियों के बीच जब राज्य और केंद्र में दोनों में बीजेपी की सरकार है और कन्नौज में भी बीजेपी का दबदबा है ऐसे में डिंपल की राह थोड़ी मुश्किल हो सकती है। हालांकि कन्नौज सीट सपा का 1998 से गढ़ है और अभी तक ये किला कोई भी पार्टी नहीं भेद पाई है।

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2017 के विधानसभा चुनाव का गणित: बता दें कि कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की तिर्वा विधानसभा सीट से बीजेपी के कैलाश राजपूत, छीबरामऊ से बीजेपी की अर्चना पाण्डेय, कन्नौज सदर से सपा के अनिल कुमार दोहरे, औरया की बिधूना से बीजेपी के विनय शाक्य और कानपुर देहात के रसूलाबाद से निर्मला शंखवार विधायक है। बीजेपी अपने इन विधायकों के सहारे कन्नौज लोकसभा सीट पर कब्जा करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने अपने विधायकों को अपने-अपंने विधानसभा क्षेत्रों में काम पर लगा दिया है।

कन्नौज संसदीय क्षेत्र: कन्नौज में लोकसभा चुनाव के लिए करीब 18,53,987 मतदाता है ,जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,13,505 है और महिला मतदाताओं की संख्या 840482 है। गौरतलब है कि इस संसदीय सीट पर सपा का बीते 23 वर्षो से कब्जा है। बीजेपी ने आखिरी बार 1996 में चंद्रभूषण सिंह के जरिए कन्नौज लोकसभा सीट जीती थी। 2014 में मोदी लहर भी सपा से कन्नौज की सीट छीन नही पाई थी। उस समय डिंपल ने बीजेपी के सुब्रत पाठक को 13,907 वोटों से हराया था। सपा की डिम्पल यादव को तब 4,89,164 वोट जबकि बीजेपी के सुब्रत पाठक को 4,69,257 हांसिल हुए थे।

2017 के विधानसभा चुनाव का गणित: बता दें कि बीजेपी अपने 4 विधायकों के सहारे कन्नौज लोकसभा सीट पर कब्जा करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने अपने विधायकों को अपने-अपंने विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदा दे दी है। विश्लेषकों की माने तो बीजेपी इस बार हर हाल में इस सीट पर कब्जा जमाना चाहती है क्योंकि उसे लगता है कि पिछली बार जब सपा सत्ता में थी तो डिंपल की जीत का आंकड़ा 14000 से कम था जबकि इस बार बीजेपी केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में है और कन्नौज में उसका दबदबा है, ऐसे में सपा को हराने में आसानी होगी।

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