Lok Sabha Election 2019: बिहार में दोनों धड़ों ने स्थिति लगभग साफ कर दी है कि कौन सी पार्टी कहां से चुनाव लड़ेगी लेकिन कुछ-कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। इस बीच टिकटों की मारामारी में दल बदल का खेल भी जारी है। कइयों ने इस खेल में सफलता हासिल कर ली है तो कई टकटकी लगाए बैठे हैं। कई दिग्गज ऐसे भी हैं जिन्होंने दिल-दिमाग बदला, शागिर्द बदले, दल और झंडे बदले फिर भी गच्चा खा गए। अब उनके राजनैतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगा है। कइयों ने बगावत का झंडा थाम लिया है और भितरघात की फिराक में लगे है। इन दिग्गजों की सूची में पूर्व सांसद नागमणि, पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री रमई राम, पूर्व सांसद लवली आनंद, पूर्व मंत्री नरेंद सिंह शामिल हैं। नरेंद्र सिंह हम पार्टी छोड़कर टिकट की आस में जदयू में आए मगर कामयाबी नहीं मिली।
उधर, भाजपा छोड़कर कांग्रेस का पंजा थामने के इंतजार में शत्रुघ्न सिन्हा का इंतजार लंबा खिंचता जा रहा है लेकिन भाजपा से ही बगावत कर कांग्रेस में आए कीर्ति झा आजाद को अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है। दरभंगा सीट पर तीन बार कमल खिलाने वाले कीर्ति के लिए गठबंधन ने ये सीट नहीं छोड़ी। लिहाजा, माना जा रहा है कि उन्हें वाल्मीकि नगर सीट से किस्मत आजमाना पड़ सकता है। फिलहाल ये कयास है।
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से बगावत कर जेडीयू में आए नागमणि काराकाट सीट से तो श्रीभगवान सिंह कुशवाहा आरा से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। मगर इनके मंसूबों पर भी पानी फिर गया। काराकाट सीट पर जदयू ने पूर्व सांसद महाबली सिंह को उतारा है। आरा सीट भाजपा के खाते में है। यहां से सीटिंग सांसद आरके सिंह उम्मीदवार हैं। पूर्व मंत्री रामजतन सिन्हा जहानाबाद सीट की चाह में कांग्रेस छोड़कर जदयू में आए थे। मगर उन्हें भी निराशा हाथ लगी है। वहां से पूर्व विधान पार्षद चन्देश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को जदयू ने मैदान में उतारा है।
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पूर्व सांसद लवली आनंद ने इस उम्मीद में कांग्रेस का हाथ थामा था कि उन्हें शिवहर से टिकट मिल जाएगा लेकिन अभी तक तस्वीर साफ नहीं है। जदयू का तीर छोड़कर शरद यादव की पार्टी लोजद में आए उदय नारायण चौधरी जमुई से और रमई राम हाजीपुर से टिकट चाह रहे थे। मगर राजद ने शरद यादव को तो अपनी लालटेन दे दी। इन दोनों के हाथ खाली रह गए।
उधर, भाजपा छोड़ कांग्रेस का पंजा पकड़ने वाले उदय सिंह को कांग्रेस ने पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया है मगर मधेपुरा में पप्पू यादव फंस गए। उन्होंने बागी बन अपना पर्चा दाखिल कर दिया है। बांका में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष पुतुल देवी भी बागी बन डटी हैं। यह पूर्व मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह की पत्नी हैं। वहीं कटिहार से भाजपा के एमएलसी अशोक अग्रवाल ने भी बगावत पर उतर पर्चा दाखिल कर दिया है। इन दोनों को मनाने की भाजपा की कोशिश नाकाम रही।
तारापुर से अरसे तक विधायक और मंत्री रहे शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी को खगड़िया से टिकट देने के वायदे के साथ भाजपा में लाया गया था मगर वो अधर में लटक गए। सम्राट चौधरी विधायक और मंत्री रह चुके हैं और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा की काट के तौर पर कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए भाजपा में लाए गए थे, मगर भाजपा अपना वायदा पूरा नहीं कर सकी। तारापुर विधान सभा पर इनका दबदबा है। यह क्षेत्र जमुई लोकसभा का हिस्सा है। यहां लोजपा के चिराग पासवान चुनाव लड़ रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि वहां भितरघात का खतरा मंडरा रहा है।

