Lok Sabha Election 2019: अपने दमदार पंच से मुक्केबाजी रिंग में विरोधियों को चारों खाने चित करने वाले ओलिंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह का कहना है कि गंदे ‘सिस्टम’ को झेलने के बाद उसे दुरुस्त करने की मंशा उन्हें राजनीति में खींच लाई। वह जुमलेबाजी की बजाय लोगों को ‘न्याय’ दिलाने के लिए काम करेंगे। 11 साल पहले बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज विजेंदर अब राजनीति में भी कदम रख चुके हैं। भारतीय मुक्केबाजी के इस ‘पोस्टर ब्वॉय’ को कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से भाजपा के रमेश विधूड़ी के खिलाफ उतारा है।
मेरे लिए सिस्टम बदलने का मौका: हरियाणा में भिवानी के कालूवास गांव निवासी विजेंदर ने भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा , ‘जिंदगी सरप्राइज से भरी है और मेरी नई पारी भी ऐसी ही है।’ सफल पेशेवर करियर के बीच राजनीति में आने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा , ‘मैं गांव से निकला हूं। एक ड्राइवर का बेटा हूं और मेरे दादा फौजी थे। एक समय हमारे यहां खाने के लाले होते थे, लेकिन मैं यहां तक पहुंचा हूं और मुझे पता है कि सिस्टम कैसा है। मौका मिल रहा है इस गंदे सिस्टम को ठीक करने का, तो क्यों नहीं करूं।’
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राजनीति को साफ- सुथरे लोगों की जरूरतः विजेंदर ने कहा, ‘आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेता नहीं होने चाहिए। राजनीति को साफ-सुथरे लोगों की जरूरत है। भगत सिंह ने कहा था कि जब तक युवा राजनीति में नहीं आएगा, तब तक देश का भला नहीं हो सकता। मैं यहां लोगों की सेवा करने आया हूं। दिल्ली में महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, युवाओं की समस्याएं अहम मसले हैं। इन पर फोकस करूंगा और यही मेरा विजन है। मेरी सोच कांग्रेस से मिलती है और मैं उसके साथ ही काम करना चाहता हूं।’
जातिगत राजनीति करने नहीं आयाः एयर स्ट्राइक और पुलवामा हमले समेत राष्ट्रवाद को चुनावी मसला बनाने के सवाल पर पद्मश्री और राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित इस मुक्केबाज ने कहा,’ मैं जुमलेबाजी में नहीं पड़ना चाहता। आम आदमी को रोटी, कपड़ा, मकान चाहिए और कुछ नहीं। आप उनको सपने ही ऐसे दिखा रहे हैं, जो पूरे नहीं हो सकते।’ जाट गुर्जर बहुल इलाके से चुनाव लड़ रहे विजेंदर भी जाट हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं जातिगत आधार पर राजनीति करने नहीं आया हूं।
मुक्केबाजी को नहीं कहेंगे अलविदाः ओलिंपिक पदक विजेता ने कहा , ‘एक खिलाड़ी अपनी जाति के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए खेलता है। यह राजनीति का नीचा स्तर है। मेरा फोकस युवाओं और उनकी समस्याओं पर है। लोगों से आसानी से कनेक्ट कर पाना ही मेरी ताकत होगी।’ विजेंदर का मुकाबला भाजपा के धुरंधर सांसद विधूड़ी से है, लेकिन उन्हें कामयाबी मिलने का यकीन है। विजेंदर ने कहा, ‘लोगों की दुआएं मेरे साथ हैं। मैंने रिंग में कभी नहीं देखा कि सामने कौन है और मैं जीतूंगा या नहीं। यहां भी मुझे प्रतिद्वंद्वी का खौफ नहीं है। राजनीति में आने के मायने यह नहीं हैं कि मैं मुक्केबाजी को अलविदा कह दूंगा। एक खिलाड़ी के तौर पर मेरा करियर चलता रहेगा।’ उन्होंने बताया कि उनका अनुबंध यूएस बॉक्सिंग के साथ है, लेकिन वह ज्यादा से ज्यादा समय दिल्ली में रहेंगे। खेलों के लिए भी काम करेंगे और कोशिश करेंगे कि युवाओं को ज्यादा मौके मिल सकें।
