Lok Sabha Election 2019: राजस्थान में नोटबंदी और जीएसटी के बाद दिहाड़ी मजदूरों के लिए काम मिलना मुश्किल हुआ है। इन सब के बावजूद मजदूरों का कहना है कि वो लोग भाजपा को ही वोट देंगे। मजूदरों का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
राजस्थान के उदयपुर में लेबर चौक पर काफी मजदूर बैठे हुए हैं। करीब दो साल पहले अकुशल मजदूर को 300 रुपये और कुशल मजदूर को 500 रुपये की दिहाड़ी मिल जाती थी। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 50 रुपये कम मिलते थे। अब मजूदरों को काम के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
मकान निर्माण के काम में मजदूरी करने वाले 40 वर्षीय बंसीलाल साल्वी का कहना है कि ऐसा पिछले दो साल से है। पहले नोटबंदी और इसके बाद जीसटी से बाजार मंदा हो गया है। साल्वी पास के राजसमंद जिले से उदयपुर में आए हैं। साल्वी का कहना है कि सरकार को मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी की योजनाएं शहरों में भी लागू की जानी चाहिए।
वोट के बारे में पूछे जाने पर उनका जवाब कुछ अलग है। साल्वी कहते हैं, ‘वो हमारे लिए सीमा पर तैनात हैं। पुलवामा के बाद पहली बार हमने ईंट का जवाब पत्थर से दिया है… मोदी दमदार है।’ 25 वर्षीय मजदूर देवरराज राव कहते हैं, ‘उन्होंने (मोदी सरकार) अभिनंदन की सुरक्षित वापसी करवाई। कांग्रेस के समय में सैनिकों का सिर कड़ा शरीर ही आता था।’ राव ने कहा कि उन्हें टीवी के अलावा वाट्सएप और फेसबुक से भी सभी सूचनाएं मिलती हैं।
राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला है। नौकरियों में कमी के बावजूद दक्षिण मध्य राजस्थान के मेवार में राष्ट्रवाद का बोलबाला है। यहां 29 अप्रैल को मतदान होना है। राजस्थान के श्रम विभाग ने भी इस पुष्टि की है कि नोटबंदी के बाद बाजार में शहरों के असंगठित मजदूरों पर अधिक मार पड़ी है।
राजस्थान की सभी 25 सीटों पर अभी भाजपा के सांसद हैं। कांग्रेस मुश्किल से ही पिछले साल सत्ता में आई है। राजस्थान में पिछले विधान चुनाव में नारा था, ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं.’ पुलवामा के बाद यह रुख भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है।