Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल के प्रभावशाली मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बेहद सधे हुए शब्दों में अपने समुदाय के लोगों को सावधानी पूर्वक वोट देने की अपील की है। राजनीति जानकार यह मानते हैं कि मुस्लिम लीडरों की यह कोशिश समुदाय के वोटों को बंटने से रोकने की कोशिश है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, धर्मगुरुओं की इस अपील में यह नहीं बताया गया है कि समुदाय के लोगों को किस कैंडिडेट के लिए वोट देना चाहिए। इसके अलावा, किसी राजनीतिक पार्टी से दूरी बरतने को लेकर भी कोई निर्देश नहीं दिया गया है। धर्मगुरुओं ने मुस्लिमों से वोट देने से पहले सावधानी पूर्वक विचार करने कहा है। उनके मुताबिक, अगर गलती हुई तो पांच साल तक उसे ठीक नहीं किया जा सकेगा।

टीओआई की खबर के मुताबिक, धर्मगुरुओं के इस संदेश पर ऑल इंडिया मिली काउंसिल के प्रेसिडेंट कारी फजलुर रहमान और कारी मोहम्मद शफीक के दस्तखत हैं। रहमान कोलकाता के रेड रोड पर ईद की नमाज करवाते हैं। वहीं, शफीक प्रतिष्ठित नखोदा मस्जिद के इमाम हैं। बता दें कि इससे पहले, यहां के ईसाई धर्मगुरु ने भी समुदाय के लोगों से ऐसी ही अपील करते हुए नफरत को खारिज करने और शांति को चुनने की अपील की थी। मुस्लिम वोटरों से की गई यह अपील इस मायने में अहम है क्योंकि बंगाल में इस समुदाय की आबादी में भागेदारी करीब एक तिहाई है। ऐसे में अगर मुस्लिम किसी एक पार्टी या कैंडिडेट को एक मुश्त वोट करते हैं तो उस पार्टी या प्रत्याशी के जीतने की गुंजाइश कई गुना बढ़ जाएगी।

आम तौर पर विभिन्न धर्मों के लीडर किसी राजनेता या पार्टी का पक्ष लेने से बचते नजर आते हैं। हालांकि, हाल फिलहाल में कुछ ऐसे मामले सामने आए, जब धर्मगुरुओं ने खुलकर किसी पार्टी का विरोध या समर्थन किया। एक मामला गोवा का है। यहां ईसाई धर्मगुरु कॉन्सिकाओ डिसिल्वा ने बीजेपी का बहिष्कार करने की अपील करते हुए अमित शाह को ‘राक्षस’ जबकि पूर्व सीएम दिवंगत मनोहर पर्रिकर की बीमारी को ‘ईश्वर के गुस्से का नतीजा’ बता डाला था। बवाल बढ़ने के बाद गोवा के चर्च ने इस मामले में माफी मांगी थी। फादर डिसिल्वा वही शख्स हैं, जिन्होंने 2017 में कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील की थी।

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