Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर प्रचार-प्रसार पुरजोर ढंग से हावी है। सभी दल और उनके सांसद अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों का जमकर बखान कर रहे हैं। हालांकि, बहुत ही कम लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो ढांचागत विकास, स्वास्थ्य (खासकर बच्चों के) पर्यावरण और मानवीय सूचकांक में सम्मानित हैसियत रखते हैं। मगर, केरल राज्य का पतनमतिट्टा ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां की व्यवस्था किसी विकसित देश के कम नहीं है। सबरीमाला विवाद की वजह से यह संसदीय क्षेत्र काफी चर्चा में रहा। लेकिन, इससे अलग यहां की आबोहवा की बात करें तो यह देश में अव्वल स्थान रखता है। यहां का पर्यावरण 123 शहरों के मुकाबले काफी साफ-सुथरा है। बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में इसकी तुलना यूरोप के इग्लैंड, फ्रांस या नार्वे से की जा सकती है।

पतनमतिट्टा संसदीय क्षेत्र में बच्चों का स्वास्थ्य ऐसा है कि हावर्ड यूनिवर्सिटी की शोध टीम को यहां का रुख करना पड़ा। हावर्ड यूनिवर्सिटी और टाटा ट्रस्ट के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पतनमतिट्टा बच्चों के लिए भारत का सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है। रिपोर्ट के जरिए पहली बार जिलों की बजाय संसदीय क्षेत्रों के आधार पर विकास सूची बनाने की कोशिश की गई है। इसका उद्देश्य एक मात्र यही है कि सांसदों को उनके क्षेत्र के प्रति अधिक जवाबदेह बनाया जा सके। पतनमतिट्टा को देखते हुए ही नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन जैसी शख्सियत स्वास्थ्य के मामले में केरल मॉडल को अपनाने की सलाह देते हैं। देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले यहां पर अस्पताल बिल्कुल स्वच्छ-सुंदर और दीवारों पर मनमोहक कलाकृतियां सजी हुई हैं। यहां पर बच्चों के लिए सुबह 10 से शाम 6 बजे तक अस्पताल खुले रहते हैं। यहीं नहीं सुबह बच्चों को योग और शाम को कराटे की सुविधा मुहैया कराई जाती है।

25 मार्च (2019) को जनसत्ता ने इंडिया-स्पेंड के हवाले से एक रिपोर्ट छापी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश के 72 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर बच्चों के स्वास्थ्य की हालत बहुत ही बुरी है। यहां पर बच्चों में कुपोषण काफी अधिक पाया गया। गौर करने वाली बात यह है कि इन 72 लोकसभा क्षेत्रों में उन हाई-प्रोफाइल लोगों की सीटें शामिल हैं, जो देश की सियासत में काफी दबदबा रखते हैं। टॉप-5 में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अमेठी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का गुलबर्ग, गृहमंत्री राजनाथ सिंह का लखनऊ और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का विदिशा संसदीय क्षेत्र कुपोषण के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित है।

कुपोषण से जुड़ी खबर विस्तार से यहां पढ़ें 72 लोकसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे, टॉप में है मोदी, राहुल और खड़गे का क्षेत्र; यूपी अव्वल

वहीं, दूसरी तरफ पतनमतिट्टा की बात करें तो यहां पर बच्चों में कुपोषण की संख्या देश के दूसरे संसदीय क्षेत्र के मुकाबले अच्छी श्रेणी में है। एक ओर जहां बच्चों में कुपोषण का राष्ट्रीय स्तर 33 फीसदी है, वहीं पतनमतिट्टा में यह आंकड़ा 12.50 फीसदी है। यहां तीन गांवों पर कम से कम 2 स्वास्थ्य केंद्र हैं। अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के राष्ट्रीय औसत की बात करें तो देश में हर 7.30 किलोमीटर पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, जबकि यहां 3.95 किलोमीटर पर है। गौरतलब है कि पतनमतिट्टा लोकसभा क्षेत्र का गठन 1982 कोल्लम, इदुक्की और अलप्पुझा को मिलाकर हुआ था। फिलहाल इस लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के नेता ए. एंटनी हैं।

Read here the latest Lok Sabha Election 2019 News, Live coverage and full election schedule for India General Election 2019