Lok Sabha Election 2019: उत्तर प्रदेश के सलेमपुर में इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जातीय समीकरण पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। सलेमपुर में गरीब और अधिकतर ग्रामीण आबादी वाला इलाका है। यहां अधिकतर पिछड़े और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी रहती है।

इनमें यादव, कुशवाहा, राजभर, दलित और मुस्लिम शामिल है। वहीं भाजपा का कोर वोटर माना जाने वाले अगड़े वर्ग की  5 लाख से भी कम है जबकि यहां पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या 16 लाख से अधिक है। बलिया से सटा सलेमपुर ने गांधीवादी  जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

यह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का भी गढ़ रहा है। सलेमपुर ने 2014 से पहले कभी भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं किया है।  इसे सोशलिस्ट सीट के नाम से भी जाना जाता है। पहले इस सीट को जनता दल ने जीता था। इसके बाद 1989 से यह सीट सपा, बसपा के पास रही है।

साल 2014 में भले ही भाजपा ने राज्य की 70 से अधिक लोकसभा सीट जीती थी लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की 5 में से 2 विधानसभा सीट सपा जीतने में कामयाब रही थी। भाजपा ने इस बार यहां से मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा की तरफ से भी कुशवाहा उम्मीदवार ही मैदान में है।

दिल में बसते हैं मोदीः सत्यप्रकाश कुशवाहा और ब्रजेश कुशवाहा सलेमपुर में फर्नीचर की दुकान चलाते हैं। ब्रजेश कुशवाहा कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी हमारे दिल में बसते हैं। ब्रजेश का कहना है कि बसपा की तरफ से कुशवाहा उम्मीदवार उतारे जाने के बावजूद 60 फीसदी कुशवाहा वोट मोदी के खाते में जाएंगे।

सिकंदरपुर के कथौड़ा गांव के शैलेंद्र वर्मा कहते हैं ही राजभर और कुशवाहा समुदाय भाजपा और गठबंधन के बीच बंट गया है। शैलेंद्र के अनुसार मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार बहुत अकड़ दिखाने वाले हैं और लोगों के किसी काम के नहीं हैं। जब लोग उनके पास काम के लिए जाते हैं तो वह कहते हैं तुमने वोट मोदी को दिया है मुझे नहीं।

सपा-बसपा से 70 हजार अधिक वोटः साल 2014 में भाजपा ने यहां सपा और बसपा से 70 हजार वोट अधिक हासिल किए थे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी पिछले चुनाव में यहां 66000 मत हासिल करने में कामयाब हुए थे।