Lok Sabha Election 2019: अभिनेता से नेता बने और गुरदासपुर से भाजपा उम्मीदवार सनी देओल भले ही रोज सुर्खियों में छाए हुए हों लेकिन उनके पुश्तैनी गांव में उनके खिलाफ जबर्दस्त उबाल है। पंजाब के फतेहाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाला गांव डांगो देओल का पुश्तैनी गांव है। सनी देओल का असली नाम अजय सिंह देओल है। उन्हें गुरदासपुर से भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने पर डांगो के ग्रामीणों में कोई उत्साह नहीं है। इसके पीछे की वजह यह बताई गई कि इन लोगों ने गांव को भुला दिया और यहां से जाने के बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

ग्रामीणों की नाराजगी का आलम यह है कि गांव के सरपंच अमृतपाल सिंह गुरदासपुर की जनता से देओल को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं। अमृतपाल सिंह का पुकारू नाम बॉबी है, जिस उन्होंने सनी देओल के छोटे भाई बॉबी देओल से प्रभावित होकर रखा था लेकिन अब इस परिवार से ये खफा हैं। सरपंच बॉबी कहते हैं, “जो अपने पिंड का न हुआ, अपनी जड़ें भूल गया, ओ गुरदासपुर का क्या हो जाएगा?”

सरपंच ने नाराजगी की वजह भी बताई और कहा कि साल 2013 की दीवाली में वो खासतौर पर मुंबई गए थे, ताकि इस पर्व के मौके पर सनी देओल के पिता और मशहूर एक्टर धर्मेंद्र को गांव ला सकें। सरपंच ने कहा, “मैं धर्मेंद्र को यहां लाने गया था, यह सोचकर कि वो गांव में युवाओं के लिए एक स्टेडियम बनवाने में हमारी मदद करेंगे लेकिन उन्होंने कभी मदद नहीं की।” गांव के एक अन्य शख्स ने बताया कि धर्मेंद्र को पास करीब ढाई एकड़ जमीन है, जिसे उन्होंने दूर के एक रिश्तेदार को साल 2016 में दे दिया, जबकि स्टेडियम के लिए 2013 में उनसे मुलाकात की गई थी। सरपंच के मुताबिक धर्मेंद्र ने गांव का अपना पुश्तैनी मकान भी किसी तीसरे शख्स को बेच दिया है।

सुखजीवन सिंह के मुताबिक उनके गांव में करीब 1900 वोट हैं, जो इस बार कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अमर सिंह के पक्ष में पड़ेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधान सभा चुनाव में गांववालों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था लेकिन अब ये लोग कांग्रेस को वोट देने का मन बनाया है। उन्होंने बताया कि पिंड के कुछ युवकों ने इस उम्मीद में बॉलीवुड में भी कदम रखने की कोशिश की कि धर्मेंद्र कुछ मदद करेंगे लेकिन उन्हें भी निराश होना पड़ा। गांव वालों के मुताबिक तीन साल की उम्र में ही धर्मेंद्र ने गांव छोड़ दिया था। उसके बाद कई दशक तक वो यहां नहीं आए। पहली बार वो 2013 में गांव आए जब लोग उनसे जाकर मुंबई में मिले। उनके बेटे कभी भी गांव नहीं आए हैं।