पश्चिम बंगाल के गृह सचिव को हटाने को लेकर चुनाव आयोग ने कारण स्पष्ट किया है। आयोग का कहना है कि गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य चुनाव आयोग का निर्देश मानने की बजाय उसे ही निर्देश देने की कोशिश कर रहे थे। इससे पहले राज्य के गृह सचिव ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र भी लिखा था।

इससे पहले चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सख्त रुख दिखाते हुए राज्य में चुनाव प्रचार में 19 घंटे की कटौती की थी। इसके साथ ही एडीजी सीआईडी राजीव कुमार को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया था। इसके साथ ही राज्य के गृह सचिव को भी कार्यमुक्त कर दिया था।

अपने आदेश में आयोग ने कहा था, ‘राज्य के गृह सचिव चुनाव आयोग का आदेश मानने की बजाय उसे निर्देश देने की कोशिश कर रहे थे।’ अत्री भट्टाचार्य ने अपने पत्र में लिखा था कि राज्य में सैन्य पुलिस बलों को किस तरह से तैनात करना चाहिए।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिफ आफताब को लिखे पत्र में भट्टाचार्य ने लिखा था, ‘चुनाव आयोजित कराने के दौरान सीएपीएफ को तैनात करने के संबंध में अच्छी खबरें नहीं हैं। आप 12 मई को सीएपीएफ द्वारा फायरिंग की घटना के बारे में जानते होंगे। इस तरह की पांच घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा सीएपीएफ की तरफ से वोट देने के लिए लाइन में लगे मतदाताओं से अभद्र व्यवहार करने और बिना अधिकार क्षेत्र के लाठी चार्ज करने की  भी खबरें हैं।’

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग ने कथित रूप से भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा को होटल से पकड़ कर कोलकाता पुलिस के हवाले करने के कारण सीआईडी एडीजी कुमार का ट्रांसफर किया है। बग्गा उस जगह मौजूद था जहां हिंसा हुई थी। इस संबंध में कोलकाता पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा और आगजनी का मामला दर्ज किया था।

चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार कुमार को 16 मई को सुबह 10 बजे गृह मंत्रालय में रिपोर्ट करना है। आयोग ने मुख्य सचिव मलय कुमार को गृह सचिव का कामकाज संभालने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग की तरफ से यह कार्रवाई भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोडशो में हुई हिंसा के दो दिन बाद की गई।