Lok Sabha Election 2019: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आम चुनाव से पहले एक और बड़ा वादा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई, तब वह साल भर से कम के वक्त में तकरीबन 22 लाख सरकारी नौकरियों का सृजन करेंगे। उनके मुताबिक, केंद्र से राज्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य योजनाओं को मिलने वाले फंड को इन पदों से लिंक किया जाएगा। रविवार (31 मार्च, 2019) को ट्वीट में उन्होंने लिखा, “आज सरकार में 22 लाख रिक्तियां हैं। हम इन्हें 31, मार्च 2020 तक भर देंगे। केंद्रों से हर राज्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बाकी चीजों के लिए आवंटित किए जाने वाले फंड को भी इन खाली पदों से लिंक किया जाएगा।”
बता दें कि कांग्रेस नौकरियों के कथित रूप से घट रहे अवसर और रोजगार सृजन की कमी को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करती रही है, जबकि आम चुनावों के बाद नई सरकार मई में काम-काज संभालेगी। कांग्रेस चीफ ने इस वादे से पहले मिनिमिम इनकम गारंटी स्कीम देने से जुड़ी घोषणा की थी। उन्होंने दावा किया था कि अगर वे सत्ता में आए, तब उनकी सरकार देश के 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों के खातों में हर साल 72 हजार रुपए ट्रांसफर कराएगी।
क्या होगा कांग्रेस के घोषणा-पत्र में?: राहुल 2 अप्रैल को पार्टी का घोषणापत्र जारी करेंगे। उसमें न्यूनतम आय योजना (न्याय) और स्वास्थ्य के अधिकार के साथ किसान की कर्ज माफी और दलितों व ओबोसी समुदायों के लिए कई प्रमुख वादे हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो घोषणा पत्र में ‘न्याय’ योजना के तहत गरीबों को 72,000 रुपये सालाना देने के वादे के साथ-साथ कुछ अन्य अहम वादों को भी जगह मिल सकती हैं। बाकी वादों में सबके लिए स्वास्थ्य सेवा का अधिकार, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के बेघर लोगों को जमीन का अधिकार, पदोन्नति में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन करना और महिला आरक्षण विधेयक को पारित करना आदि शामिल हैं।
केरल की चुनावी रणनीति पर माकपा, भाकपा ने किया मंथनः केरल की वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी की रविवार को उम्मीदवारी घोषित होने के बाद माकपा और भाकपा ने राज्य में बदले हालात के मद्देनजर चुनावी रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया। माकपा और भाकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात और डी राजा ने इस बाबत सोमवार को मुलाकात कर केरल में वाम मोर्चा की चुनावी रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने वायनाड सीट पर राहुल गांधी को घेरने और मतों के विभाजन को रोकने की रणनीति पर भी विचार विमर्श किया।