Lok Sabha Election 2019: हरियाणा विधानसभा के उप चुनाव में हाई प्रोफाइल उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला की हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश में इज्जत बचाने के लिए नया प्लान तैयार किया है। पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं से लोकसभा चुनाव को एक चुनौती के रूप में लेने को कहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में मंगलवार को हरियाणा समन्वय समिति की पहली बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी इस ‘प्रतिष्ठा की लड़ाई’ में अपने सबसे अनुभवी नेताओं को उतारना चाहिए।
जनवरी में जींद विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी के नेता रणदीप सुरजेवाला को न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा बल्कि पार्टी तीसरे नंबर पर रही। दूसरे स्थान पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से टूट कर बनी नई पार्टी जननायक जनता पार्टी थी।
इसके मद्देनजर पार्टी ने राज्य में लोकसभा सीटों पर अपने अनुभवी उम्मीदवारों को उतारने का निर्णय लिया है। कांग्रेस यहां साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में महज एक ही सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद सोनीपत से पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं।
वहीं, उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी मौजूदा सीट रोहतक से चुनाव लड़ सकते हैं। राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमार सैलजा भी अंबाला से चुनाव लड़ सकती हैं। जबकि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अशोक तंवर के उनकी पारंपरिक सीट सिरसा से चुनाव लड़ने की उम्मीद है। पार्टी की अन्य वरिष्ठ नेता व मौजूदा विधायक किरण चौधरी महेंद्रगढ़-भिवानी लोकसभा सीट से मैदान में उतर सकती हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन अजय सिंह गुड़गांव से पार्टी की पसंद हो सकते हैं जबकि पूर्व सांसद अवतार सिंह भडाना फरीदाबाद से मैदान में उतर सकते हैं। वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे सिरसा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पार्टी ने आधिकारिक रूप से राज्य के लिए अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं। 12 मई को होने वाले मतदान के लिए पार्टी का जोर मुख्य रूप से सभी सीटें जीतने पर है।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख अशोक तंवर ने कहा, ‘हम राज्य की सभी 10 सीटें जीतने के लिए अपने बेहतर देने का प्रयास कर रहे हैं। इससे केंद्र में राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाने में मदद मिलेगी।’
