Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच गुजरात में गठबंधन पर सहमति नहीं बन पाई है। शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने यहां राज्य की सभी 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है।
एनसीपी के फैसले को विपक्षी धड़े के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। एनसीपी के इस फैसले से राज्य में भाजपा को सीधे फायदा मिलने की उम्मीद है। दरअसल, एनसीपी कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए पोरबंदर और साबरकांठा सीट की मांग कर रही थी लेकिन कांग्रेस इस बार एक भी सीट देने को तैयार नहीं थी।
इससे पहले साल 2014 के लिए हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एनसीपी को पोरबंदर सीट दी थी। लेकिन पिछली बार भाजपा ने राज्य की सभी 26 सीटें जीती थी। कांग्रेस और एनसीपी को खाली हाथ संतोष करना पड़ा था।
कांग्रेस इस बार यहां स्थानीय भारतीय ट्राइबल्स पार्टी (बीटीपी) से समझौता करने का प्रयास कर रही है। माना जा रहा है कि राज्य की भरूच और दाहोद सीट पर आदिवासी नेता छोटू भाई वसावा का अच्छा खासा प्रभाव है। ये वहीं वसावा हैं जिनके वोट की बदौलत ही अहमद पटेल की राज्यसभा की जीत सुनिश्चित हो सकी थी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस दो सीटें छोटू भाई वसावा की पार्टी को दे सकती है। इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेल के एनसीपी में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि कांग्रेस इस बार एनसीपी को दो सीट दे देगी।
लेकिन दोनों दलों के बीच यह समझौता नहीं हो सका है। अब एनसीपी राज्य की सभी 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। पिछले चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जब-जब एक सीट पर एनसीपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं इसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ है।
वाघेला निभाएंगे बड़ी जिम्मेदारीः कांग्रेस के साथ समझौते पर सहमति नहीं बन पाने के बाद से एनसीपी में शंकर सिंह वाघेला की भूमिका काफी अहम हो गई है। शंकर सिंह वाघेला पर राज्य में पार्टी के 26 उम्मीदवारों के चयन में बड़ी भूमिका निभाएंगे। मालूम हो कि पिछले विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस इस चुनाव में बेहतर परिणाम की उम्मीद लगाए है।