अभंतिका घोष
Lok Sabha Election 2019 के लिए अब बीजेपी में भी महिला आरक्षण की मांग तेज हो गई है। बीजेपी प्रवक्ता और महाराष्ट्र की सियासत के चर्चित चेहरों में शुमार शाइना एनसी ने महिला आरक्षण की आवाज बुलंद की है। उन्होंने टीएमसी और बीजेडी की तरफ से 33 फीसदी टिकट महिलाओं के लिए आरक्षित करने के बावजूद बाकी पार्टियों के ऐसा न करने पर सवाल उठाए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, महिलाओं के प्रति सम्मान और भरोसे की जरूरत होती है, सिर्फ घोषणापत्रों से कुछ नहीं होता। राजनीतिक दलों में पुरुषवादी मानसिकता हावी है, जब भी किसी महिला का नाम प्रत्याशी के रूप में सामने आता है तो उसके जीतने की संभावना और फंडिंग पर सवाल उठते हैं। खासतौर पर तब जब वो किसी बड़ी हस्ती की रिश्तेदार न हो। मैं पुरुषवादी मानसिकता से लड़ाई जारी रखूंगी चाहे वो मेरी पार्टी में हो या दूसरी पार्टियों में।’
महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपने कोटे की 25 सीटों में से सात यानी 28 फीसदी पर महिला प्रत्याशियों को मौका दिया है। लेकिन शाइना का कहना है, ‘इनमें से अधिकांश पार्टी नेताओं की बेटियां हैं। क्या आपको लगता है कि सात प्रत्याशी पर्याप्त हैं? इनमें से पूनम महाजन, प्रीतम मुंडे और हिना गावित पार्टी नेताओं की ही बेटियां हैं। स्मिता वाघ पार्टी नेता की पत्नी है। क्या आप इसे महिलाओं का प्रतिनिधित्व कहेंगे। मुझे किसी के पारिवारिक संबंधों से शिकायत नहीं है लेकिन यदि दूसरों में प्रतिभा है तो उन्हें भी मौका मिलना चाहिए।’
बीजेपी नेता एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से भी इस बार चुनावी मैदान में हैं। उन्हें रावेर लोकसभा सीट से टिकट मिला है। पेशे से फैशन डिजाइनर शाइना महाराष्ट्र बीजेपी की कोषाध्यक्ष भी हैं। वे नाना चूड़ास्मा की बेटी हैं। 2004 में उन्होंने बांद्रा विधानसभा से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गई थीं।
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शाइना से पूछा गया कि क्या वे टिकट नहीं मिलने से निराश हैं? इस पर उन्होंने कहा, ‘सवाल सिर्फ मेरा नहीं है। हम सभी चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन यह व्यक्तिगत नहीं है। लेकिन अगर आप उन्हीं महिलाओं को मौका देंगे जिनका बड़े नेताओं से पारिवारिक संबंध है तो हम जैसी महिलाएं कैसे आगे बढ़ पाएंगी? यह मेरे या किसी एक राजनीतिक दल के संबंध में नहीं है।’
शाइना का कहना है कि वे अन्य राजनीतिक दलों की महिला नेताओं के संपर्क में हैं ताकि वे इस संबंध में एक याचिका लगा सकें। उन्होंने कहा, ‘योग्यता को भी अवसर की आश्यकता होती है। प्रतिभा को निखरने के लिए मौका चाहिए होता है। पार्टी नेतृत्व को चाहिए वह महिलाओं को भी उनकी चुनावी क्षमताएं साबित करने का मौका दे। सभी पार्टियों को जागने की जरूरत है। देश की करीब आधी मतदाता महिलाएं हैं। मुझे यह जानकर दुख हुआ कि सिर्फ ममता बनर्जी (टीएमसी में 41 फीसदी) और नवीन पटनायक (बीजेडी में 33 फीसदी) ने ही महिलाओं को अच्छी संख्या में टिकट दिए हैं। बाकी सभी दल सिर्फ बातें कर रहे हैं।’
बहरहाल शाइना ने कहा कि बनर्जी और पटनायक के लिए यह इसलिए भी आसान होगा क्योंकि वे उनकी पार्टी में इकलौते बड़े नेता हैं। उन्होंने कहा, ‘चिंता करने वाली बात यह है कि हम अभी भी बेहद आधारभूत मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।’