मध्य प्रदेश के शहडोल से बीजेपी सांसद ज्ञान सिंह ने चेतावनी दी है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट न देने के फैसले पर दोबारा नहीं सोचती है तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर जाएंगे। उनकी दलील है कि नोटबंदी के बाद हुए उप चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। बता दें कि शहडोल लोकसभा सीट पर उप चुनाव नोटबंदी के 11 दिन बाद 19 नवंबर 2016 को हुए थे। इस वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस प्रत्याशी हिमाद्री सिंह को 60 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी। इस साल 20 मार्च को हिमाद्री ने बीजेपी जॉइन कर ली थी। बीजेपी द्वारा 23 मार्च को जारी की गई प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में हिमाद्री का नाम है।

पार्टी के इस फैसले से ज्ञान सिंह बेहद नाराज हैं और उन्होंने मोर्चा खोलने की धमकी दी है। सिंह ने कहा कि वह हिमाद्री को चार पूर्व बीजेपी विधायकों की मदद से हराने के लिए काम करेंगे। सिंह के मुताबिक, दो वर्तमान बीजेपी विधायक भी इस काम में उनकी मदद करेंगे, लेकिन वह उनके नामों का खुलासा नहीं करेंगे। 65 साल के सिंह ने कहा, ‘मैं नोटबंदी के बावजूद जीता। मैं उस प्रत्याशी के लिए कैसे वोट मांग सकता हूं, जिसे मैंने दो साल पहले हराया था।’ नाराज सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी का व्यवसायीकरण हो गया है। उन्होंने इसे ‘पैसा फेंको, तमाशा देखो’ का मामला बताया। हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।

बता दें कि सिंह शिवराज सरकार में अनुसूचित जाति/जनजाति मंत्री थे, जब पार्टी ने उन्हें उप चुनाव में उतरने का आदेश दिया। सिंह ने कहा, ‘मैं आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखता हूं और मेरे पास धनबल, बाहुबल और छलबल नहीं है।’ बता दें कि हिमाद्री पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह की बेटी हैं। बीते कुछ दिनों से वह सिंह को मनाने में जुटी हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली है। वहीं, सिंह ने कहा, ‘अगर वह मेरे दरवाजे पर भी आ जाती हैं तो मैं उनसे दोबारा मिलने से इनकार कर दूंगा। मैंने उनके खिलाफ बोला है…अब मैं उनसे क्यों मुलाकात करूं।’ उधर, बीजेपी प्रवक्ता लोकेंद्र पराशर ने कहा, ‘अगर वह (सिंह) वैसा ही करते हैं जैसा कि वह धमकी दे रहे हैं तो पार्टी के पास इससे निपटने का तरीका है।’

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