Lok Sabha Election 2019: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संकल्प पत्र में राम मंदिर का जिक्र महज दो लाइन में किया गया है। पार्टी घोषणा-पत्र में यह 14वें खंड (सांस्कृतिक धरोहर) में सबसे पहले शामिल है। संकल्प पत्र के मुताबिक, “राम मंदिर पर बीजेपी अपना रुख दोहराती है। संविधान के दायरे में अयोध्या में शीघ्र राम मंदिर के निर्माण के लिए सभी संभावनाओं को तलाशा जाएगा और उसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएंगे।” पार्टी ने जिस प्रकार इस मुद्दे को मैनिफेस्टो में जगह दी है, उस पर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी आम चुनाव के मद्देनजर किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है। यही वजह है कि उसकी तरफ से राम मंदिर के मुद्दे पर हर मुमकिन कोशिश का वादा किया गया है।

बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देश में हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। खासकर चुनावी माहौल में इसे और अहमियत दी जाती रही है। दरअसल, संत समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) लंबे समय से बीजेपी का ध्यान मंदिर मुद्दे पर खींचता रहा है। संघ ने कहा था कि मोदी सरकार को मंदिर के लिए अध्यादेश लाना चाहिए, जबकि साधु-संतों ने भी मंदिर निर्माण के लिए सरकार के समक्ष कदम उठाने की मांग उठाई थी।

चुनाव से पहले बीजेपी के कुछ सहयोगी दलों और नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर पार्टी पर दबाव बनाया था। शिवसेना सरीखे सहयोगी दल ने आरोप लगाया था कि बीजेपी राम मंदिर का मसला सिर्फ चुनाव के आसपास ही उछालती है। साथ ही मांग उठाई थी कि सरकार अध्यादेश या कार्यकारी आदेश पास करा कर कानूनी प्रक्रिया के जरिए मंदिर का निर्माण कराए।


बीजेपी के घोषणापत्र के 14वें खंड (सांस्कृतिक धरोहर) में राम मंदिर का जिक्र है। (bjp.org)

पीएम मोदी ने भी अपने नए साल पर दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि जब तक न्यायिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है, तब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। वैसे इस मुद्दे के हल के लिए तीन सदस्यों वाली मध्यस्थता कमेटी बन चुकी है, जिसमें आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्ला और वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

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