Lok Sabha Election 2019 से पहले पश्चिम बंगाल के चार शीर्ष पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर से राज्य की सियासत में फिर से उबाल आ गया है। चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदान से ठीक पहले हुए इन ट्रांसफर के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे बीजेपी के इशारे पर दिया गया बेहद मनमाना और पक्षपातपूर्ण आदेश करार दिया। ममता ने लिखा, ‘इस घटनाक्रम से यह असमंजस और बढ़ गया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था के तौर पर निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए काम कर रहा है या केंद्र में बीजेपी की वापसी के लिए काम कर रहा है।’
ममता ने कहा, ‘कानून-व्यवस्था राज्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। अफसरों के ट्रांसफर से वोटर्स को प्रभावित करने के लिए दिए जा रहे पैसे और शराब की जब्ती का ऑपरेशन कमजोर पड़ सकता है। नए अफसर इलाके को उतनी अच्छी तरह नहीं जानते हैं। इस फैसले से एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह फैसला कुछ दलों और उनके राजनीतिक आकाओं को संरक्षण देने के लिए लिया गया है?’
चुनाव आयोग ने शनिवार (06 अप्रैल) की रात को चार पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश जारी किया था। इनमें कोलकाता के पुलिस कमिश्नर भी शामिल हैं। इसके तहत उन्हें किसी भी चुनाव संबंधी ड्यूटी पर तैनात नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में 11 अप्रैल से मतदान शुरू होगा और राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सातों चरणों तक मतदान चलता रहेगा।
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फरवरी महीने में सीबीआई बनाम कोलकाता पुलिस विवाद के बाद राजीव कुमार की जगह अनुज शर्मा को कमिश्नर बनाया गया था। लेकिन दो महीने बाद ही अब राजीव कुमार को उनकी जगह दे दी गई है। इस ट्रांसफर में शामिल बिधाननगर के कमिश्नर रहे ज्ञानवंत सिंह भी शामिल हैं, वे भी 3 फरवरी को सेंट्रल कोलकाता में हुए ममता बनर्जी के धरना स्थल पर मौजूद थे। वहां उनकी उपस्थिति पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने पूछा था कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री के साथ धरने पर कैसे बैठ सकते हैं। हालांकि, ममता बनर्जी ने कहा कि पुलिस अधिकारी धरने के मंच पर नहीं थे, वे सिर्फ सुरक्षा के लिए तैनात थे।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘हो सकता है कुछ पुलिस वालों के खिलाफ राजनीतिक दलों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई हो। उनमें से कुछ ममता बनर्जी के धरने में भी शामिल थे। वहीं कुछ वो अधिकारी भी शामिल हैं जो ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी के लिए कोलकाता एयरपोर्ट जाकर कस्टम अधिकारियों से बहस कर रहे थे।’