लोकसभा चुनाव 2014 और लोकसभा चुनाव 2019 में बड़ी जीत हासिल कर सत्ता में आने वाली बीजेपी ने अब लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बीजेपी को मात देने के लिए विपक्ष एकजुट होता दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इस चुनाव में भी उसे अपनी पिच पर खिलाने की तैयारियां करती दिखाई दे रही है।

मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों पर परिवारवादी और भ्रष्ट होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने साल 2014 में पीएम पद संभालने के बाद शायद पहली बार यूसीसी का जिक्र किया और दावा किया कि अगले चुनावों में बीजेपी पहले से भी ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में लौटेगी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर UCC को लेकर अल्पसंख्यकों को “गुमराह” करने का आरोप लगाते हुए कहा, “हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।” उन्होंने कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में था।

बीजेपी के एजेंडे में सिर्फ UCC बाकी

आपको बता दें कि बीजेपी के कोर आइडियोलॉजिकल एजेंडा में अब सिर्फ UCC ही एकमात्र ऐसा वादा बचा है, जो अभी पूरा नहीं हुआ है। मोदी सरकार अयोध्या में राम मंदिर बनाने और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का अपना वादा पूरा कर चुकी है। हाल ही में लॉ कमिशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सुझाव मांगे हैं। विपक्षी दल इसे मोदी सरकार के एजेंडे के रूप में ले रहे हैं।

गोवा, गुजरात, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्य जहां पर बीजेपी की सरकारें हैं, वहां पर पहले ही यूसीसी लाने के प्रयास चल रहे हैं। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट के बाद अगर यूसीसी संसद में लाया जाता है तो पार्टी को भरोसा है कि वो जरूरी संख्या जुटा लेगी। यह मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में उठाया जा सकता है।

क्या है बीजेपी की रणनीति

बीजेपी के अंदर कुछ लोगों को लगता है कि अगर यूसीसी पर ज्यादा बात होती है तो यह गैर-बीजेपी दलों में मतभेद पैदा कर सकती है। विपक्ष दल अपने बीच के तमाम मतभेद भुलाकर एक साथ आने की कोशिश कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी और बीजेडी जैसी पार्टियों को यूसीसी से समस्या नहीं है जबकि विपक्ष को साथ लाने का प्रयास कर रही जेडीयू इस विषय पर चर्चा चाहती है।

जल्दबाजी में नहीं है बीजेपी

हालांकि बीजेपी आदिवासियों की चिंता को देखते हुए यूसीसी पर जल्दबाजी के मूड में नहीं है। साल 2016 में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद यूसीसी पर हो रही चर्चाओं को देखते हुए अपने रीति-रिवाजों की सुरक्षा की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गय था। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद 11 करोड़ आदिवासियों का प्रतिधिनित्व करने का दावा करता है।

इस साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों की अच्छी संख्या है। मिजोरम में भी चुनाव होने में कम समय बचा है। यहां इस साल की शुरुआत में यूसीसी के विरोध में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया।

मंगलवार को भोपाल में हुए सभा के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी ने देशभर में अपने कार्यकर्ताओं से कहा किया कि वे लोगों के बीच जाकर उनकी सरकार के इरादे ‘स्पष्ट’ करें और अल्पसंख्यकों के प्रति उनकी सरकार के बर्ताव के दावों पर विपक्ष को ‘बेनकाब’ करें। इसके अलावा उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वो लोगों के तीन तलाक बैन के फायदे गिनाएं और पसमांदा समाज पर बीजेपी के फोकस के बारे में बताएं।