संजीव शर्मा
कुरुक्षेत्र में चुनावी महाभारत के एक छोर पर भाजपा के नायब सिंह सैनी हैं तो दूसरे छोर पर कांग्रेस के निर्मल सिंह। बीच में अर्जुन सिंह चौटाला राजनीतिक चक्रव्यूह भेदने की भूमिका में हैं। नायब सिंह सैनी मनोहर कैबिनेट में मंत्री हैं तो निर्मल सिंह पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी के रूप में अर्जुन सिंह चौटाला महाभारत का रण जीतने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं। फिलहाल कुरुक्षेत्र का जो सियासी माहौल है, उसे देखकर लगता है कि भिड़ंत दिलचस्प होगी। यहां सर्वाधिक जाट मतदाता हैं, लेकिन लंबे समय से इस समुदाय का कोई सांसद नहीं बना है, जबकि 1977 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन हुआ था और 2014 में पहली बार यहां से भाजपा को जीत मिली।
इस बार परिस्थितियां पूरी तरह से विपरीत हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा से बागी हो चुके राजकुमार सैनी ने कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को हराया था। इस बार सैनी चुनाव नहीं लड़ रहे और उन्होंने भाजपा को छोड़ लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बना ली। तब इनेलो के बलबीर सैनी को 25 फीसद वोट के साथ कुल 2,88,376 वोट मिले थे। 2004 और 2009 में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को 2,87,722 वोट मिले थे। जिंदल तीसरे नंबर पर रहे थे। 2004 में कुरुक्षेत्र से अर्जुन सिंह चौटाला के पिता अभय सिंह चौटाला भी चुनाव लड़ चुके हैं। कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में साढ़े 4.75 लाख से ज्यादा जाट और जट सिख, करीब एक लाख सैनी और सवा लाख ब्राह्मण वोटर हैं।
अर्जुन सिंह चौटाला जाट हैं और उनका रिश्ता जट सिख परिवार में इनेलो के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह की बेटी के साथ हुआ है। इस चुनाव में यदि जाट और जट सिख मतदाता एकजुट होकर मतदान करेंगे तो उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। भाजपा ने यहां नायब सिंह सैनी को उतारा है, जिन पर बाहरी होने का तमगा लगा है। इसी तरह कांग्रेस ने यहां निर्मल सिंह को टिकट दिया है और उनका भी बाहरी के तौर पर विरोध हो रहा है। हरियाणा में देवीलाल का परिवार कहीं से भी चुनाव लड़ता रहा है। इस परिवार ने हरियाणा से बाहर जाकर भी चुनाव लड़े हैं जबकि निर्मल सिंह और नायब सिंह सैनी को यहां बाहरी होने से जूझना पड़ रहा है। अर्जुन सिंह चौटाला के पिता अभय चौटाला चूंकि कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए उनकी स्वीकार्यता है। जजपा-आप गठबंधन ने यहां से जयभगवान डीडी को टिकट दिया है।
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन 1977 में किया गया था। इससे पहले यह क्षेत्र कैथल लोकसभा के तहत आता था। इस सीट पर कांग्रेस को 1984, 1991, 2004 और 2009 में जीत हासिल हुई। लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र के तहत कुल 9 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें लाडवा, शाहाबाद, थानेसर, पिहोवा, रादौर, गुहला, कलायत, कैथल और पुंडरी विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
