Katihar Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name: बिहार के महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक कटिहार सीमांचल का बड़ा क्षेत्र है। पहले कटिहार पूर्णियां जिले में पड़ता था। यहां 1957 में पहली बार चुनाव हुआ था। यहां शुरू में दो बार कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे, उसके बाद 1962 में यहां प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली। लेकिन अगले चुनाव में फिर कांग्रेस को सफलता मिली और सीताराम केसरी सांसद बने। 1977 में आपातकाल के बाद के माहौल की वजह से जनता पार्टी के प्रतिनिधि को सफलता मिली, लेकिन 1980 और 1984 में फिर कांग्रेस के उम्मीदवार तारिक अनवर यहां से लोकसभा पहुंचे। तारिक अनवर पांच बार सांसद रहे। चार बार कांग्रेस से और एक बार एनसीपी से सांसद बने।

बीजेपी के निखिल चौधरी लगातार तीन बार कटिहार के सांसद रहे हैं

कभी कांग्रेस का गढ़ रहे कटिहार लोकसभा क्षेत्र से फिलहाल जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद हैं। उन्हें इस बार फिर से टिकट मिला है। ढाई दशक से इस सीट पर एनडीए का ही दबदबा रहा है। बीजेपी के निखिल चौधरी लगातार तीन बार कटिहार के सांसद रहे हैं। पांच नदियों के किनारे बसे कटिहार में लहलहाते खेत, आम के बगान, मखाना के पत्ते से पटा पोखर दिखता है।

कटिहार की जमीन राजनीतिक रूप से काफी उर्वर बताई जाती है

रेल और सड़क मार्ग से दूसरे राज्यों से जुड़े होने की वजह से कटिहार का व्यापारिक आधार मजबूत रहा है। इसके बावजूद उद्योगविहीन कटिहार अपने मेहनकश किसान और मजदूरों को लेकर जाना जाता है। कटिहार की पहचान रहे जूट उद्योग ठप पड़ गए हैं। जूट मिल बंद हो चुका है। दूसरी ओर कटिहार की जमीन राजनीतिक रूप से काफी उर्वर बताई जाती है।

कटिहार लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में बीजेपी और कांग्रेस के पास दो-दो और जदयू और भाकपा (माले) के पास एक-एक सीट है। लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, कटिहार लोकसभा क्षेत्र में 9 लाख 39 हजार 260 मतदाता पुरुष हैं। 8 लाख 65 हजार 305 महिला वोटर हैं और 102 थर्ड जेंडर के वोटर हैं।

जातीय जनगणना पर 41 फीसदी मुस्लिम, 11 फीसदी यादव, 8 फीसदी सवर्ण, 16 फीसदी वैश्य, 18 फीसदी पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 6 फीसदी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं। जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में करीब साढ़े 52 प्रतिशत लोग साक्षर हैं।