Karnataka New CM: कर्नाटक की कमान किसके हाथों में जाएगी? इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। राज्य में कांग्रेस की धमाकेदार जीत के बाद 135 विधायकों ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में से सीएम चुनने की जिम्मेदारी पार्टी को अध्यक्ष सौंप दी। हालांकि, अभी भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। लेकिन आज शाम तक पार्टी अगले मुख्यमंत्री का ऐलान कर देगी। राज्य सभा सांसद और कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि आज शाम तक पार्टी अपने फैसले का ऐलान कर देगी।

परिणामों की घोषणा के बाद से सीएम के चुनाव के लिए मैराथन मीटिंग चल रही हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तीनों प्रयवेक्षकों के साथ बैठक कर सीक्रेट बैलट पर चर्चा की, जिसमें विधायकों ने बताया कि वह किसको मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। इसके अलावा, खड़गे की सुरजेवाला और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ भी बैठक हुई हैं। इस बीच, डीके शिवकुमार के भाई और लोकसभा सदस्य डी के सुरेश ने भी पार्टी अध्यक्ष खड़गे से मुलाकात की।

इस सब उथल-पुथल के बीच डीके शिवकुमार भी आज शाम तक दिल्ली पहुंचेंगे। फिलहाल वह स्टमक इंफेक्शन की वजह से बेंगलुरु में ही हैं। हालांकि, सिद्धारमैया सोमवार शाम को ही दिल्ली पहुंच गए थे और आज उनके समर्थक एमबी पाटिल, आरवी जेशपांडे, जमीर अहमद, केजे दॉर्ज, अशोक पट्टन और बैराथी सुरेश भी उनके समर्थन में दिल्ली पहुंचेंगे। सिद्धरमैया इस बात को लेकर कोंफिडेंट हैं कि मैजोरिटी उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।

वहीं, शिवकुमार ये बात स्वीकार कर चुके हैं कि उनके पास मैजोरिटी विधायकों का समर्थन नहीं है, लेकिन उनका दावा है कि उनकी मेहनत की वजह से पार्टी ने कर्नाटक में इतनी सीटों पर जीत हासिल की है। उन्होंने दोहराया कि उन्होंने कठिन समय में कर्नाटक कांग्रेस का नेतृत्व संभाला था और उस समय सोनिया गांधी से किया गया वादा पूरा कर दिया है। उन्होंने कहा, “मेरे पास दूसरों की संख्या के बारे में बोलने की ताकत नहीं है, मेरी ताकत 135 है। मैं पार्टी अध्यक्ष हूं और मेरी अध्यक्षता में पार्टी ने डबल इंजन सरकार और भ्रष्ट प्रशासन के खिलाफ कर्नाटक में 135 सीटें जीती हैं।”

उधर, पार्टी सूत्रों ने बताया कि 135 में से 90 विधायकों की मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद सिद्धारमैया हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया के दबाव डालने पर तीनों पर्यवेक्षकों ने व्यक्तिगत तौर पर विधायकों की राय ली। विधायकों को या तो अपनी पसंद का एक नाम लिखने के लिए कहा गया था, या अपनी पसंद के क्रम के अनुसार एक से अधिक नाम, या सिर्फ हाईकमान को फैसला लेने का विकल्प दिया गया था। इसमें ज्यादात विधायकों ने सिद्धारमैया पर मुहर लगाई, जबकि, शिवकुमार गुट के विधायकों ने राय बताने से परहेज किया और फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया।