बीजेपी के मजबूत लिंगायत नेता माने जाने वाले जगदीश शेट्टार ने कुछ दिन पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया. हुबली धारवाड़ सेंट्रल सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले शेट्टार कई दशकों तक बीजेपी के साथ जुड़े रहे.उन्होंने कई बार हुबली धारवाड़ से चुनाव भी जीता, ऐसी स्थिति बना दी कि 1994 के बाद से ये सीट बीजेपी का गढ़ माने जाने लगी. लेकिन इस बार जब उन्हें टिकट नहीं दिया गया, वे नाराज हैं, अपमानित महसूस कर रहे हैं. उनसे इंडियन एक्सप्रेस ने खास बातचीत की है, उसका एक अंश यहां पढ़िए-

आपने बीजेपी छोड़ने का फैसला क्यों किया?

मैंने काफी अपमानित महसूस किया, मेरी वरिष्ठता को भी नजरअंदाज कर दिया गया. जिस तरह से बीजेपी ने व्यवहार किया, वो स्वीकार नहीं किया जा सकता. मैं हुबली से 6 बार का विधायक हूं. अगर वो मुझे एक हफ्ता, या कह लीजिए 15 दिन पहले भी बताते कि टिकट नहीं देने वाले हैं और कुछ दूसरे मौके दिए जाएंगे, तो मैं चुनाव लड़ने को लेकर सोच भी सकता था. लेकिन मुझे तो अचानक से कहा गया कि आपको टिकट नहीं दिया जा रहा है और आपको इसे लेकर एक बयान भी जारी करना है. क्या मैं कोई छोटा बच्चा हूं जिसे ऐसे आदेश दिया जा रहा है? मुझे इस तरह के व्यवहार से बहुत आपत्ति हुई थी. मैंने चार दशक के करीब पार्टी के लिए काम किया है, उन्हें यहां पर मजबूत करने का काम किया है.

जब आपने विरोध किया, बीजेपी की क्या प्रतिक्रिया रही?

बीजेपी नेताओं ने मुझसे संपर्क साधा था. उन्होंने कहा था कि मुझे अन्य मौके दिए जाएंगे. लेकिन सवाल ये है कि मुझे इस बारे में पहले कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई. वो तो मुझे राज्यसभा की सीट दे रहे थे. अब तो ये झूठी अफवाह भी फैला रहे हैं कि मुझे मंत्री बनाने तक की बात हुई थी. लेकिन मेरे साथ ऐसी कोई चर्चा कभी नहीं हुई. मैं तो सिर्फ 67 साल का हूं, फिर भी पार्टी के पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि मुझे टिकट क्यों नहीं दिया गया. जो सर्वे हुए थे, उनमें पार्टी हाइकमान को पॉजिटिव फीडबैक मिला था. मुझ पर तो भ्रष्टाचार के भी कोई आरोप नहीं हैं, लेकिन फिर भी टिकट नहीं मिला, कहा गया कि ये पार्टी का फैसला है.

आपने बीएल संतोष पर आरोप लगाया कि उनकी वजह से टिकट नहीं मिली, विस्तार से बताइए

देखिए मैंने इस बारे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को बताया था. लेकिन उन्होंने कहा कि तब किसी दूसरे उम्मीदवार को उतारने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने ये भी कहा था कि Mahesh Tenginakayi की उम्मीदवारी को लेकर भी तब कोई चर्चा नहीं हुई. असल में कुछ महीने पहले ही मेरे खिलाफ ये प्रचार किया जाने लगा कि मुझे इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा. ये भी कहा गया कि Mahesh Tenginakayi, बीएल संतोष के करीबी हैं. ऐसे में अब जो भी कुछ हुआ है, उसे देखते हुए लगता है कि सारी प्लानिंग पहले ही कर ली गई थी.

आपके भाई को MLC बनाया गया था, क्या इस वजह से तो बीजेपी ने आपको टिकट नहीं दिया?

चिकोडी में तो पति सांसद हैं, पत्नी विधायक हैं. एक जगह परिवार के दो सदस्यों को भी टिकट दिया गया था. 76 साल के G H Thippareddy को टिकट दिया गया, Katta Subramanya Naidu के बेटे को भी चुनावी मैदान में उतारा गया. अब एक तरफ तो बीजेपी परिवारवाद-वंशवाद को खारिज करती है, तो दूसरी तरफ उसके उठाए कदम अलग ही दिखाई पड़ते हैं. ऐसे में परिवारवाद को लेकर बीजेपी की कोई स्पष्ट नीति नहीं है. परिवारवाद के सारे नियम सिर्फ शेट्टार पर लागू क्यों हो रहे हैं. बात मेरे भाई की रही तो उसे तो काफी मुश्किल स्थिति में साल 2013 में चुनाव लड़वाया गया था, उस समय बीजेपी तीन भागों में बंटी हुई थी, कोई भी चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था, तब पार्टी के हित को देखते हुए मैंने अपने भाई को लड़वाया था.

क्या बीजेपी की राज्य इकाई में कोई बड़ा बदलाव होने वाला है?

मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि बीएल संतोष ने कर्नाटक बीजेपी पर पूरी तरह अपना कंट्रोल जमा लिया है. जो भी उनके द्वारा सलेक्ट किए जाते हैं, वे पार्टी दफ्तर में बैठे हैं, वो ही अध्यक्ष बन रहे हैं. इस समय राज्य की बीजेपी इकाई संतोष और उनके समर्थकों द्वारा चलाई जा रही है. बीएल संतोष को पार्टी के हित के लिए काम करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

क्या सीएम बनना चाहते हैं बीएल संतोष?

इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता, लेकिन लोग ऐसी चर्चा जरूर कर रहे हैं. अखबारों में इस बारे में लिखा जा रहा है. इनके समर्थक हैं, वो ऐसी अफवाह को हवा देते रहते हैं.

हुबली में तो बीजेपी मजबूत है, आपकी क्या रणनीति रहेगी?

मैंने ही बीजेपी को यहां पर मजबूत किया है. 1994 से पहले तक तो ये कांग्रेस-जेडीएस का गढ़ माना जाता था. मैंने ही यहां पर पार्टी का संगठन मजबूत किया और इसे खड़ा किया. वर्तमान सीएम बसवराज बोम्मई को भी मैंने 1994 में हरा दिया था. आने वाले कई चुनावों में भी बड़े मार्जिन से जीतता रहा. लोग भी हैरान हुए कि मैंने बीजेपी क्यों छोड़ दी, लेकिन उन्होंने मुझे समर्थन देने की बात कर दी है, चाहे मैं दूसरी पार्टी से ही क्यों ना लड़ूं. मुझे तो कांग्रेस नेता बता रहे हैं कि उन्हें अब अपने क्षेत्रों में 5000 से 10000 वोटों तक का फायदा हो रहा है. मुझे बताया जा रहा है कि उनके क्षेत्र में कई लिंगायत नेता नाराज हैं और इस वजह से वे कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं.

अकरम एम की रिपोर्ट